भगवती चरण वर्मा के कृतित्व-भगवती चरण वर्मा का साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने काम, कहानी और उपन्यास के साथ-साथ नाटक य निबन्ध भी लिखा। सन् 1933 में वर्माजी का पहला कविता-संग्रह ‘मधुकण’ प्रकाशित हुआ वर्माजी का उपन्यास ‘पतन’ सन् 1928 में प्रकाशित हो चुका था। सन् 1934 में ‘चित्रलेखा’ का प्रकाशन हुआ। सन् 1935 में हिन्दी-साहित्य सम्मेलन ने इन्हें साहित्य-मन्त्री साहित्य नियुक्त किया। सन् 1936 में इनका पहला सामाजिक उपन्यास ‘तीन वर्ष’ प्रकाशित हुआ। इसी बीच में कहानी-संग्रह ‘इन्स्टालमेष्ट’ और दो बाँके’ तथा एक कवितासंग्रह ‘प्रेम-संग्रह प्रकाश में आये। कीर्ति का दायरा बढ़ता चला गया। फलस्वरूप कलकत्ता (कोलकाता) फिल्म कार्पोरेशन ने इन्हें अपने यहाँ बुलाया। ये कलकत्ता (कोलकाता) गये, यहाँ नौकरी की, परन्तु पारिवारिक झंझटों के कारण पुनः इलाहाबाद लौट आये। सन् 1919 में पुनः कलकत्ता (कोलकाता)* ‘गये और ‘विचार’ नामक साप्ताहिक पत्र का सम्पादन संभाला। सन् 1940 में मुम्बई के विख्यात फिल्म-निर्देशक केदार शर्मा ने ‘चित्रलेखा’ का फिल्मोकरण किया। फिल्म की ख्याति के साथ-साथ उपन्यास लेखक की ख्याति भी बढ़ी। ‘चित्रलेखा’ की अब तक लाखों प्रतियाँ बिक चुकी हैं।
आदित्य वस्तुनिष्ठ सामान्य हिंदी नोट्स-प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
भगवती चरण वर्मा का कृतित्व
धर्मा जी ने जिन पुस्तकों की रचना की उनका काल क्रमानुसार निर्देश इस प्रकार है
(क) उपन्यास
पतन (सन् 1929), चित्रलेखा (1934), तीन वर्ष (1948), टेढ़े-मेढ़े रास्ते (1946), आखिरी दाँव (1956), अपने खिलौने (1957) भूले-बिसरे चित्र (1959) वह फिर नहीं आई (1960), सामर्थ्य और सीमा (1962), थके पाँव (1963), केरवा (1964)1 आपके उपन्यास में पाप-पुण्य, नैतिकता-अनैतिकता, प्राचीनता और नवीनता के सम्बन्ध में विभिन्न प्रश्नों को उठते हुए व्यक्तिवादी दृष्टि से सामाजिक परम्पराओं, रूढ़ियों, परम्परागत मूल्यों के प्रति विद्रोह किया गया। आपने आधुनिक युग के उच्च वर्ग एवं मध्य वर्ग के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों, विकृतियाँ, कुष्ठाओं का चित्रण नग्न यथार्थवादी दृष्टिकोण से किया।
(ख) कहानी संकलन- आपके कहानी-संग्रह, इनस्टालमेण्ट, खिलवे फूल और दो बाँके हैं।
(ग) कविता-संग्रह- मधुकर, प्रेम-संगीत, मानस तथा एक दिन है।
(घ) निबन्ध संग्रह – हमारी उलझन