1857 की क्रांति-प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये (100) महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर-Hello Readers जैसा की आप सभी जानते हैं की Competitive exams में विभिन्न विषयों से लेकर के प्रश्न पूछे जाते हैं| दोस्तों आज आप सभी छात्रों के लिए एक एसी प्रश्नों की संग्रह आपस अभी के साथ शेयर कर रहे हैं जो पिछले कई प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जा चुके है,और ये सारे प्रश्न आगे भी परीक्षाओं में पूछे जायेंगे| आज आप सभी के लिए जो जानकारी शेयर कर रहे हैं वह “1857 की क्रांति” और अन्य क्रांतियों से समबन्धित प्रश्नोत्तर है| जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं ओ छात्र आज का हामार Post अवश्य पढने उनको आगे की होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत ही Help मिलेगा| आप सभी इस Post को नीचे बटन के माध्यम से PDF Notes में भी डाउनलोड कर सकते हैं|
1857 की क्रांति-प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये (100) महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
- अंग्रेजी भारतीय सेना में चर्बी वाले कारतूसों से चलने वाली एनफील्ड राइफल को शामिल किया गया- दिसंबर 1856 में
- भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य तात्कालिक कारण था- अंग्रेजों का धर्म में हस्तक्षेप का संदेश
- मंगल पांडे की घटना हुई थी- बैरकपुर में
- मंगल पांडे सिपाही था- 34वी बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के
- 1857 के विद्रोह के दौरान बहादुर शाह ने’ साहब ए आलम बहादुर’ का खीताब दिया था- बख्त खान को
- 1857 की क्रांति का प्रमुख कारण था- ब्रिटिश साम्राज्य की नीति
- 1857 की क्रांति सर्वप्रथम प्रारंभ हुई- मेरठ से
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पहली घटना थी- सैनिकों का दिल्ली के लाल किले पर पहुंचना
- 1857 के स्वाधीनता संग्राम का प्रतीक था- कमल और रोटी
- 1857 के संग्राम के झांसी, मेरठ, दिल्ली तथा कानपुर केंद्रों में से सबसे पहले अंग्रेजों ने पुना अधिकृत किया- दिल्ली को
- 1857 के स्वाधीनता संघर्ष की वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई की जन्म स्थली है- वाराणसी
- 1857 के बरेली विद्रोह का नेता था- खान बहादुर
- महारानी लक्ष्मी बाई की समाधि स्थित है- ग्वालियर में
- रानी लक्ष्मीबाई को अंतिम युद्ध में सामना करना पड़ा- ह्यूरोज का
- का विद्रोह लखनऊ में जिसके नेतृत्व में आगे बढ़ा, वह थी- बेगम आफ अवध
- इलाहाबाद में 1857 के संग्राम का नेता था- मौलवी लियाकत अली
- 1857 के संघर्ष में भाग लेने वाले सिपाहियों के सर्वाधिक संख्या थी- अवध से
- नाना साहब का” कमांडर इन चीफ”था – तात्या टोपे
- अजीमुल्ला खा सलाहकार थे- नाना साहब के
- वर्ष 1857 के विद्रोह के संदर्भ में नाना साहब, कुंवर सिंह, खान बहादुर खान तथा तात्या टोपी में से वह जिसे, उसके मित्र ने धोखा दिया, तथा जिसे अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाकर मार दिया गया- तात्या टोपे को
- 1857 के क्रांतिकारियों में वह जिसका वास्तविक नाम’ रामचंद्र पांडुरंग’ था- तात्या टोपे
- कुंवर सिंह, 1857 के विद्रोह के एक प्रमुख नायक थे| वह संबंध थे- बिहार से
- पटना के 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नेता थे- राजपूत कुंवर सिंह
- असम में 1857 की क्रांति का नेता था- दीवान मनीराम दत्त
- 857 के विद्रोह का बिहार में 15 जुलाई, 1857 से 20 जनवरी, 1858 तक केंद्र था- जगदीशपुर
- जगदीशपुर का वह व्यक्ति जिसने 1857ई . के विप्लव में क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया- कुंवर सिंह
- जगदीशपुर के राजा थे- कुंवर सिंह
- 1857 ई. की क्रांति में अंग्रेजों व जोधपुर के संयुक्त सेना को पराजित करने वाला था- आउवा के ठाकुर कुशाल सिंह
- अजमेर, जयपुर, नीमच तथा आउवा में से राजस्थान में 1857 की क्रांति का केंद्र नहीं था- जयपुर
- चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, शहादत खान तथा माखनलाल चतुर्वेदी में से 1857 में अंग्रेजों से संघर्ष किया- शहादत खान ने
- मौलवी अहमदुल्लाह शाह, मौलवी इंदादुल्लाह , मौलाना फज्लेहक खेराबादी तथा नवाब लियाकत अली में से 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों का सबसे कट्टर दुश्मन था- मौलवी अहमदुल्लाह शाह
- 1857 के विद्रोह को देखने वाले उर्दू कवि थे- मिर्जा ग़ालिब
- सुप्रसिद्ध उर्दू शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का मूल निवास था- आगरा
- आजादी की पहली लड़ाई 1857 में भाग नहीं लिया- भगत सिंह ने
- 1857 के विद्रोह में बेगम हजरत महल, कुंवर सिंह, ऊधम सिंह तथा मौलवी अहमदुल्लाह मैं से संबंध नहीं था- ऊधम सिंह
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों की सर्वाधिक सहायता करने वाला राजवंश था- ग्वालियर के सिंधिया
- भारत में शिक्षित मध्य वर्ग ने – 1857 के विद्रोह से तटस्थता बनाए रखी थी
- खेतिहर मजदूर, साहूकार, कृषक तथा जमीदार वर्गों में 1857 के विद्रोह में भाग नहीं लिया – साहूकार तथा जमीदार ने
- झांसी, चित्तौड़, जगदीशपुर तथा लखनऊ में से वह क्षेत्र जो 1857 विद्रोह से प्रभावित नहीं था- चित्तौड़
- बिहार के दानापुर, पटना, आरा , मुजफ्फरपुर, मुंगेर में से 1857 के विद्रोह से अप्रभावित भाग था- मुंगेर
- 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल था- लार्ड कैनिंग
- 1857 विद्रोह के समय बैरकपुर में ब्रिटिश कमांडिंग ऑफिसर था- जान बेनेट हैरसे
- 1857 मैं इलाहाबाद को आपातकालीन मुख्यालय बनाया था- लार्ड कैनिंग ने
- 1857 के विद्रोह के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री थे- विश्वकांट पामस्टर्न
- 1857 का विद्रोह मुख्यत: असफल रहा- किसी सामान्य योजना और केंद्रीय संगठन की कमी के कारण
- 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम असफल हुआ क्योंकि – भारतीय सिपाहियों में उद्देश्य की एकता की कमी थी, प्राय: भारतीय राजाओं ने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया, ब्रिटिश सिपाही कहीं अच्छे सज्जीत कथा संगठित थे
- अंग्रेज राजपूत राज्यों में 1857 के विद्रोह को दबाने में सफल रहे क्योंकि- स्थानीय शासकों ने क्रांतिकारियों का साथ नहीं दिया
- जनरल जॉन निकलसन, जनरल नील, मेजर जनरल हैवलॉक तथा सर हेनरी लारेंस मैं से वह ब्रिटिश अधिकारी जिन्होंने लखनऊ में अपना जीवन खोया था- जनरल नील, मेजर जनरल हैवलॉक तथा सर हेनरी लारेंस
- 1857 के विद्रोह को एक’ षड्यंत्र’ की संज्ञा दी- सर जेम्स आउट्रम एव डब्ल्यू . टेलर ने
- वह आधुनिक इतिहासकार जिसने 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता की पहली लड़ाई कहा था-वी.डी. सावरकर
- भारतीय स्वाधीनता आंदोलन का सरकारी इतिहासकार था-एस.एन.सेन
- भारतीय भाषा में 1857 के विप्लव के कारणों पर लिखने वाला प्रथम भारतीय था- सैयद अहमद खां
- “तथाकथित प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम ना प्रथम,न राष्ट्रीय और न ही स्वतंत्रता संग्राम था” यह कथन सम्बद्ध है- आर. सी. मजूमदार से
- 1857 की क्रांति के बारे में सही अवधारणा है- इसने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की शासन प्रणाली को मृतप्राय बना दिया
- महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश ताज के नियंत्रण मैं लेने की घोषणा की थी- 1 नवंबर, 1858 को
- साम्राज्ञी विक्टोरिया ने 1858 को घोसड़ा में भारतीयों को बहुत सी चीजें दिए जाने का आश्वासन दिया था| वह आश्वासन जिसे ब्रिटिश शासन ने पूरा किया था- रियासतों को हड़पने की नीति समाप्त कर दी जाएगी
- महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा(1858 ) का उद्देश्य था- भारतीय राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने के किसी भी विचार का परित्याग करना तथा भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश क्राउन के अंतर्गत रखना
- पब्लिक सर्विस आयोग, पील आयोग, हंटर आयोग तथा साइमन कमीशन मैं 1857 के विद्रोह के दमन के बाद भारतीय फौज के नव संगठन से संबंधित है – पील आयोग
- 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने सिपाहियों का इन प्रांतों से चयन किया- गोरखा, सिख एव पंजाबी उत्तर प्रांत से अन्य जन आंदोलन
- 1857 के विद्रोह के ठीक बाद बंगाल में सन्यासी विद्रोह, संथाल विद्रोह, नील उपद्रव तथा पावना उपद्रव में से विप्लव हुआ- नील विद्रोह का
- नील कृषकों की दुर्दशा पर लिखी गई पुस्तक” नील दर्पण” के लेखक थे- दीनबंधु मित्र
- ‘वंदे मातरम’ गीत लिखा है- बंकिमचंद्र चटर्जी ने
- आनंदमठ उपन्यास की कथावस्तु आधारित है- सन्यासी विद्रोह पर
- वह विद्रोह जिसका उल्लेख बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनंद मठ में करके प्रसिद्ध किया-सन्यासी विद्रोह
- मुंगेर के बरहीयाताल विरोध का उद्देश्य था- बकास्त भूमि की वापसी की मांग
- 19वी शताब्दी के दौरान होने वाले” वहाबी आंदोलन” का मुख्य केंद्र था- पटना
- कूका आंदोलन के संगठित किया- गुरु राम सिंह ने
- पागलपंथी विद्रोह वस्तुतः एक विद्रोह था- गारो का
- ‘पागल पंथ’ की स्थापना की थी- करमशाह ने
- फराजी विद्रोह का नेता था- दादू मियां
- फराजी थे- हाजी शरिअतुल्लाह के अनुयायी
- वेलु थम्पी ने अंग्रेजो के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व किया था – केरल में
- महाराष्ट्र में रामोशी कृषक जत्था स्थापित किया था- वासुदेव बलवंत फड़के ने
- रामोसी विद्रोह सही रूप में जिस भौगोलिक इलाके में हुआ था, वह था- पश्चिमी घाट
- गड़करी विद्रोह का केंद्र था- कोल्हापुर
- मानव बलि प्रथा का निषेध करने के कारण अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने वाली जनजाति का नाम- खोंद
- कोल विद्रोह(1831- 32) का नेतृत्व किया- बुध्दू भगत ने
- बघेरा विद्रोह हुआ- बड़ौदा में
- छोटा नागपुर जनजाति विद्रोह हुआ था- 1820ई. मैं
- संथाल विद्रोह का नेतृत्व किया- सिध्दू कान्हू एव भैरव चांद
- 1855ई . मैं संथालों ने किस अंग्रेज कमांडर को हराया- मेजर बारो
- भील विद्रोह, कोल विद्रोह, रम्पा विद्रोह तथा संथाल विद्रोह में से वह घटना जो महाराष्ट्र में घटित हुई- भील विद्रोह
- मेवाड़, बागड़, और पास के क्षेत्रों के भीलो में सामाजिक सुधार के लिए’ लसोणिया आंदोलन’ का सूत्रपात किया- गोविंद गिरी ने
- उलगुलन विद्रोह जुड़ा था- बिरसा मुंडा से
- जिस आदिवासी नेता को जगत पिता(धरती आबा) कहा जाता था, वह था- बिरसा मुंडा
- बिरसा मुंडा का कार्यक्षेत्र था- रांची
- जनजाति लोगों के संबंध में’ आदिवासी’ शब्द का प्रयोग किया था- ठक्कर बापा ने
- भारत में19वी शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के लिए जिसने साझा कारण मुहैया किया- जनजातीय समुदायों की प्राचीन भूमि संबंधी व्यवस्थापक संपूर्ण
- हौज विद्रोह हुआ- (1820- 21 ई.) के दौरान
- खैरवार आदिवासी आंदोलन हुआ- 1874ई. मैं
- संभलपुर के अनेक ब्रिटिश विरोधी विद्रोहो का नेता था- सुरेंद्र साईं
- नील विद्रोह, संथाल विद्रोह, दक्कन के दंगे तथा सिपाही विद्रोह का सही कालानुक्रम है- संथाल विद्रोह, सिपाही विद्रोह, नील विद्रोह, दक्कन के दंगे
- 1921 का मोपला विद्रोह हुआ था- केरल में
- अंग्रेजों के विरुद्ध भीलो द्वारा क्रांति प्रारंभ की गई थी- मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में
- ताना भगत आंदोलन उत्तराउराव ने प्रारंभ किया था- 1914 में
- महात्मा गांधी एवं उनके विचारों से प्रभावित होने वाले प्रथम आदिवासी नेता थे- जोड़ानांग
- वाराणसी में प्रथम संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की थी-जोनाथन डंकन ने
- सर्वप्रथम’भगवतगीता’ अंग्रेजी में अनुवाद किया था-चार्ल्स विल्किंस ने
- कालिदास की प्रसिद्द रचना सकुन्तला का पहली बार अंग्रेजी में अनुवाद किया था-सर विलियम जोंस ने
- ब्रिटिश सरकार के जिस अधिनियम ने सबसे पहली बार भारत में शिक्षा के लिए 1 लाख रूपये दिए थे-चार्टर अधिनियम,1813
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