आपराधिक अतिचार (Criminal Trespass) –
धारा 441 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आधिपत्य वाली सम्पत्ति पर इस आशय से प्रवेश करता है ताकि ‘कोई अपराध करे या दूसरे व्यक्ति को अभित्रस्त, अपमानित या क्षुब्ध करे तो इसे आपराधिक अतिचार कहते हैं।
अथवा वह दूसरे के कब्जे वाली सम्पत्ति पर विधिपूर्वक प्रवेश करता है किन्तु बाद में विधि-विरुद्ध तरीके से सम्पत्ति पर इस आशय से बना रहता है ताकि कब्जाधारी अपमानित, अभित्रस्त या क्षुब्ध हो, तो इसे भी आपराधिक अतिचार कहेंगे, जैसे अ, ब के मकान में इस आशय से प्रवेश करता है ताकि वह क्रुद्ध हो जाये या चिढ़ जाये। अ आपराधिक अतिचार का दोषी माना जायेगा।
एक लड़का अपरिचित लड़की के घर में घुसा। उसका आशय था कि लड़की को प्रेम- पत्र दे। लड़के को आपराधिक अतिचार का दोषी माना गया।
आपराधिक अतिचार के आवश्यक तत्व (Essential ingredients of Criminal Trespass)
- जिस सम्पत्ति पर आपराधिक अतिचार किया जाता है उसे अन्य व्यक्ति के आधिपत्य में होना चाहिये। आधिपत्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। अतिचार के समय कब्जाधारी की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। किन्तु सम्पत्ति का अर्थ केवल अचल सम्पत्ति से ही लिया जाना चाहिये, क्योंकि चल सम्पति पर अतिचार नहीं होता है।
- सम्पत्ति में या सम्पत्ति पर अवैध प्रवेश करना-बिना किसी प्राधिकार के या कब्जाधारी की सहमति के बिना किसी सम्पत्ति पर प्रवेश करना अवैध माना जाता है।
- वैध प्रवेश हो तो अवैध रूप से बना रहना-मान लीजिए किसी व्यक्ति को दूसरे को सम्पत्ति पर जाने का अधिकार हो किन्तु उद्देश्य पूरा होने के उपरान्त भी वह सम्पत्ति पर बना रहता है ताकि कब्जाधारी क्षुब्ध हो जाये तो इसे अवैध रूप में बने रहना कहेंगे और आपराधिक अतिचार का अपराध गठित हो जायेगा।
- अवैध प्रवेश का उद्देश्य कब्जाधारी को अभित्रास, क्षुब्ध या अपमानित करने का होना।
अवैध रूप से प्रवेश किए गए व्यक्ति का आशय वहाँ रहने वाले व्यक्ति को अपमानित या क्षुब्ध करने का हो तो वह आपराधिक अतिचार करता है।
श्रीमती कंवल सूद बनाम नवल किशोर और अन्य के मामले, (ए० आई० आर० 1983 एस० सी० 159) में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि आपराधिक अतिचार का अपराध गठित होने के लिये आशय का होना आवश्यक है। मात्र अधिग्रहण ही चाहे वह अवैध ही क्यों न हो, आपराधिक अतिचार की कोटि में नहीं आता।