आपराधिक बल एवं हमले की परिभाषा उदाहरण सहित समझाइये तथा इन दोनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

आपराधिक बल (Criminal Force ) – धारा 350 के अनुसार- “जो कोई किसी व्यक्ति पर उस व्यक्ति की सहमति के बिना बल का प्रयोग किसी अपराध को करने के लिए या उस व्यक्ति को जिस पर बल प्रयोग किया जाता है, क्षति, भय या क्षोभ ऐसे बल प्रयोग से करने के आशय से या ऐसे बल के प्रयोग से सम्भाव्यतः कारित करेगा यह जानते हुए साशय करता है कि वह उस अन्य व्यक्ति पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है।

उदाहरण- (i) ‘क’ एक स्त्री का घूंघट साशय हटा देता है यहाँ ‘क’ ने साशय बल का प्रयोग किया है और यदि उसने उस स्त्री की सहमति के बिना यह कार्य यह आशय रखते हुए या यह सम्भव जानते हुए किया है कि उससे उसको क्षति, भय या क्षोभ उत्पन्न हो तो उसने उस पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

(ii) ‘क’ ‘य’ की सहमति के बिना एक कुत्ते को ‘य’ पर झपटने के लिए भड़काया है। यहाँ यदि ‘क’ का आशय य को क्षति, भय या क्षोभ करने का है तो उसने ‘य’ पर आपराधिक बल का प्रयोग किया है।

धारा 349 जहाँ बल की परिभाषा प्रस्तुत करती है वहीं धारा 350 यह उपबन्धित करती है। कि निम्नलिखित परिस्थितियों में बल आपराधिक बल बन जाता है

  1. जब किसी भी व्यक्ति पर उसकी सहमति के बिना बल प्रयोग किया जाये,
  2. इस प्रकार का बल प्रयोग अपराध करने के आशय से किया जाये,
  3. किसी व्यक्ति पर क्षति, भय या क्षोभ पहुँचाने के आशय से बल का प्रयोग किया। जाये,
  4. बल-प्रयोग के फलस्वरूप उस व्यक्ति को क्षति, भय या क्षोभ पहुँचा हो ।

के०पी०एस० गिल बनाम श्रीमती रूपन देवल बजाज, ए० आई० आर० 2005 एस० सी० 3104 के मामले में सार्वजनिक तौर पर किसी स्त्री के कूल्हे पर मारने को आपराधिक बल मानते हुए इसे स्त्री की लज्जा भंग निर्धारित किया गया है।

सदोष मानव वध की परिभाषा कीजिए। इसके आवश्यक तत्व क्या हैं? उदाहरण सहित विवेचना कीजिये। Define ‘culpable homicide’. What are its essential ingredient? Discuss with examples.

हमला (Assault)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 351 में हमला को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार “जो कोई, कोई अंग विक्षेप या कोई तैयारी इस आशय से करता है या यह सम्भव जानते हुए करता है कि अंग-विक्षेप या तैयारी करने से किसी उपस्थित व्यक्ति को यह आशंका हो जायेगी कि जो वैसा अंग विक्षेप या तैयारी करता है कि वह उस व्यक्ति पर आपराधिक बल प्रयोग करने ही वाला है, वह हमला करता है।”

स्पष्टीकरण- केवल शब्द हमले की कोटि में नहीं आवे किन्तु जो शब्द कोई व्यक्ति प्रयोग करता है वे उसके अंग-विक्षेप या तैयारियों को ऐसा अर्थ दे सकते हैं जिससे वे अंग विक्षेप या तैयारियाँ हमले की कोटि में आ जायें।

उदाहरण – (i) ‘य’ पर अपना मुक्का ‘क’ इस आशय से या यह सम्भावना जानते हुए हिलाता है कि उसके द्वारा ‘य’ को विश्वास हो जाये कि ‘य’ ‘क’ को मारने ही वाला है। ‘क’ ने हमला किया है।

(ii) ‘क’ एक हिंसक कुत्ते की मुखबन्धनी इस आशय से यह सम्भावना जानते हुए खोलना आरम्भ करता है कि उसके द्वारा ‘य’ को विश्वास हो जाये कि वह ‘य’ पर कुत्ते से आक्रमण कराने वाला है। ‘क’ ने ‘य’ पर हमला किया है।

भारतीय दण्ड संहिता में साधारण तैयारी को दण्डनीय नहीं बनाया गया, परन्तु इस धारा में मात्र बल प्रयोग की तैयारी ही हमले के अपराध का गठन कर देती है। लेकिन इसके लिए यह आवश्यक है कि बल-प्रयोग की तैयारी मनुष्य के प्रति होनी चाहिए। हमले के अपराध के निम्नलिखित आवश्यक तत्व हैं

(i) किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति की उपस्थिति में कोई तैयारी या अंगविक्षेप करना,

(ii) बल-प्रयोग की तैयारी इस सम्भावना अथवा ज्ञान से की जानी चाहिए कि उस व्यक्ति को आपराधिक बल प्रयोग की आशंका हो जाये। परन्तु रामचन्द्र बनाम किशन चन्द्र (1970 Cr. L.J. 264) के मामले में यह कहा गया है कि बल प्रयोग की धमकी मात्र को हमला नहीं कहा जा सकता।

ब्रजेश वेंकटराय अन्वेकर बनाम स्टेट ऑफ कर्नाटक (ए० आई० आर० 2013 एस० सी० 329) के मामले में महिलाओं पर हमले को उनके सम्मान पर आक्रमण माना गया है। (Assault on women offends her dignity.)

उन परिस्थितियों की विवेचना कीजिये, जिनमें गम्भीर एवं अचानक प्रकोपन का तर्क लिया जा सकता है। उदाहरण दीजिए।

आपराधिक बल एवं हमले में अन्तर (Difference between ‘Criminal Force’ and ‘Assault’)

आपराधिक बल एवं हमले में निम्नलिखित अन्तर पाया जाता है

(i) आपराधिक बल प्रयोग में अपराधी किसी अन्य व्यक्ति पर बल प्रयोग करता है किन्तु हमले में वह अपने हाव-भाव, तैयारी या धमकी से उस व्यक्ति के भीतर यह आशंका उत्पन्न करता है कि उसके विरुद्ध आपराधिक बल का प्रयोग किया जाने वाला है।

किसी व्यक्ति को दिखाकर घूंसा हिलाना केवल हमला है, परन्तु उसे घूँसा मार देना आपराधिक बल प्रयोग होगा।

(ii) आपराधिक बल हमले की अपेक्षा अधिक उत्तेजक एवं गम्भीर है। हमला अन्तिम अवस्था को प्राप्त हो जाने पर आपराधिक बल का रूप ले लेता है।

हमला में वास्तविक बल प्रयोग नहीं होता है आपराधिक बल में आपराधिक बल का प्रयोग ही महत्वपूर्ण है।

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