अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकारों के प्रवर्तन के लिए क्या-क्या उपाय किये गये हैं? What measures has been taken for implementation of Human Rights in international level.

मानव अधिकारों के प्रवर्तन के उपाय

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकारों को प्रवर्तनीय बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये गये हैं

1. मानव अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र कमीशन के अन्तर्गत

संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य राज्य का कोई व्यक्ति यदि वह महसूस करता है कि उसके मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तो वह संयुक्त राष्ट्र महासचिव के माध्यम से मानव अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र कमीशन के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर सकता है। आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् द्वारा 1967 में पारित एक प्रस्ताव ने मानव अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र कमीशन को मानव अधिकारों के सकल (gross) उल्लंघनों से सम्बन्धित सूचनाओं का परीक्षण करने तथा इस प्रयोजन से उन परिस्थितियों का अध्ययन करने की, जिनसे मानव अधिकारों के उल्लंघनों का वास्तविक स्वरूप प्रकट होता है, क्षमता प्रदान कर दी। इस शक्ति का प्रयोग करते हुए कमीशन ने मानव अधिकारों के अभिकथित उल्लंघनों की विशिष्ट राज्यों के विरुद्ध लोक जाँच की है।

2. आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, 1966 के अन्तर्गत (Under the International Covenant on Economic, Social and Cultural Right, 1966) –

आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की प्रसंविदा, 1966 के अन्तर्गत प्रवर्तन का मुख्य ढंग एवं पालन में किये गये उपायों एवं हुई प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। ऐसी सभी रिपोर्टें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को भेजी जाती हैं तथा महासचिव रिपोर्टों की प्रतिलिपियाँ प्रसंविदा के प्रावधानों के अधीन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को उसके विचारार्थ भेजता है। महासचिव रिपोर्टों की प्रतिलिपियां या उसका संगतपूर्ण भाग उन विशिष्ट एजेंसियों को भी भेजता है जिनसे संबंधित राज्य पक्षकार ऐसी एजेंसियों के सदस्य हैं तथा मामला उनके संवैधानिक संलेखों के अन्तर्गत उनकी जिम्मेदारियों के अन्तर्गत होता है। राज्य पक्षकारों को आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा तथा राज्य पक्षकारों एवं संबंधित एजेंसियों को सलाह से निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार प्रसंविदा के लागू होने के एक वर्ष के अंदर भेजनी होती है।

राज्य पक्षकार एवं विशिष्ट एजेंसियों द्वारा भेजी गई रिपोर्टों को आर्थिक एवं सामाजिक परिषद मानव अधिकारों के कमीशन के पास अध्ययन एवं संस्तुतियों हेतु भेज सकता है। कमीशन द्वारा सामान्य संस्तुति के पश्चात् प्रसंविदा के राज्य पक्षकार तथा विशिष्ट एजेंसियाँ अपनी टीका-टिप्पणी भेज सकते हैं परन्तु यह टीका-टिप्पणी कमीशन को नहीं वरन् आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को भेजे जाते हैं। आर्थिक एवं सामाजिक परिषद समय समय पर रिपोर्टों, सामान्य प्रकृति की संस्तुतियाँ और राज्य पक्षकारों तथा विशिष्ट एजेन्सियों से प्राप्त सूचना तथा प्रसंविदा में स्वीकृत मानव अधिकारों के सामान्य पालन तथा हुई प्रगति का सारांश महासभा को भेजती हैं।

3. सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, 1966 के अन्तर्गत (Under the International Covenant on Civil and Political Rights)—

अन्तर्राष्ट्रीय सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की प्रसंविदा के अन्तर्गत मानव अधिकारों के सम्मान तथा प्रोन्नति एवं पालन हेतु एक मानव अधिकार समिति (Human Rights Committee) की स्थापना का प्रावधान है।

यह समिति निम्नलिखित तीन ढंगों से मानव अधिकारों का प्रवर्तन करती है

  1. रिपोर्ट प्रस्तुत करने की प्रणाली (The System of Reporting);
  2. अन्तर्राष्ट्रीय संसूचना प्रणाली (Inter-state Communication System) जिसमें सुलह प्रक्रिया (Conciliation Procedure) भी शामिल है;
  3. प्रवर्तन के अन्य गुण (Other Methods of Implementation)

4. सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, 1966 के ऐच्छिक प्रोटोकाल के अन्तर्गत व्यक्तिगत संसूचना प्रणाली (Individual Communication System under Optional Protocol of International Covenant on Civil and Political Rights, 1966)

सिविल एवं राजनीतिक प्रसंविदा के ऐच्छिक प्रोटोकाल के अन्तर्गत प्रवर्तन के उपर्युक्त तीन दंगों के अतिरिक्त एक अन्य या चौथा ढंग दिया गया है जिसे व्यक्तिगत संसूचना प्रणाली (Individual Communication System) कहते हैं। यह ढंग सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की प्रसंविदा के उन राज्य पक्षकारों को उपलब्ध है जो ऐच्छिक प्रोटोकाल (Optional) Protocol) के भी पक्षकार हैं। इस प्रकार ऐच्छिक प्रोटोकाल की प्रस्तावना में यह स्पष्ट किया गया है। सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की प्रसंविदा के प्रयोजनों की और अधिक उ प्राप्ति के लिए यह उपयुक्त होगा कि प्रसंविदा के भाग 4 में मानव अधिकार समिति उन व्यक्तियों से संसूचना (शिकायत) स्वीकार करे जो यह दावा करते हैं कि प्रसंविदा से स्वीकृत उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तथा इस उद्देश्य से वर्तमान ऐच्छिक प्रोटोकाल (Optional Protocol) में राज्य पक्षकारों ने अनुच्छेद 1 से 14 तक रखना स्वीकार किया है।

व्यक्तिगत संसूचना का प्रयोग निम्नलिखित शर्तों के अधीन है

  1. व्यक्तिगत संसूचना प्रणाली केवल उन्हीं व्यक्तियों को उपलब्ध है जो राज्य प्रसंविदा तथा ऐच्छिक प्रोटोकाल दोनों ही के पक्षकार हैं।
  2. उक्त व्यक्ति की संसूचना प्रसंविदा में उल्लिखित अधिकारों के संबंध में होनी चाहिए।
  3. समिति के पास संसूचना भेजने के पूर्व यह आवश्यक है कि व्यक्ति द्वारा सभी स्थानीय या घरेलू उपाय (domestic remedies) समाप्त कर लिया गया हो।
  4. ऐच्छिक प्रोटोकाल के अन्तर्गत निवेदित संसूचना अनाम या गुमनाम नहीं होनी चाहिए, न ही प्रसंविदा के अधिकारों का दुरुपयोग तथा न ही प्रसंविदा के उपबंधों से असंगत होनी चाहिये।
  5. समिति तब तक किसी व्यक्ति की संसूचना पर विचार नहीं करेगी जब तक वह यह अभिनिश्चित नहीं कर लेती कि वह मामले पर किसी अन्य अन्तर्राष्ट्रीय जाँच या निस्तारण की प्रक्रिया के अन्तर्गत विचार नहीं किया जा रहा है।

मानव अधिकार समिति ऐच्छिक प्रोटोकाल के अन्तर्गत प्राप्त व्यक्तिगत संसूचना की सूचना उस राज्य पक्षकार को देगी जिसके विरुद्ध आरोप है कि वह प्रसंविदा के उपबंधों का उल्लंघन कर रहा है। ऐसी सूचना प्राप्त करने वाला राज्य पक्षकार 6 महीनों के भीतर यह लिखित स्पष्टीकरण भेजेगा कि उसने क्या-क्या उपाय किये हैं। व्यक्ति तथा संबंधित राज्य पक्षकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी लिखित सूचना के आधार पर मानव अधिकार समिति संसूचना पर निर्भर करेगी। समिति संसूचना पर विचार बंद कमरे में बैठकों में करेगी। यदि संबंधित राज्य पक्षकार 6 महीनों के भीतर समिति को अपने लिखित स्पष्टीकरण आदि नहीं भेजता है, तो ऐसे स्पष्टीकरण की अनुपस्थिति में भी समिति संसूचना पर विचार करना प्रारंभ कर सकती है।

द्वितीय ऐच्छिक प्रोटोकाल आवश्यक रूप से सिविल एवं राजनीतिक अधिकारों की प्रसंविदा तथा उसके प्रथम प्रोटोकाल से जुड़ा हुआ है। अतः इसके प्रवर्तन की मशीनरी भी वही अर्थात् मानव अधिकार समिति ही है।

दस्तावेज तथा मूल्यवान प्रतिभूति (Document and Valuable Security)

प्रवर्तन के निम्नलिखित तीन ढंग हैं

  1. रिपोर्ट भेजने की प्रणाली (The Reporting System);
  2. अन्तर्राज्य संसूचना प्रणाली (Inter-state Communication System);
  3. व्यक्तियों द्वारा संसूचना प्रणाली (Individual Communication System)।

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