Non-Cooperation Movement असहयोग आंदोलन-Hello Aspirants, आज हम आप सभी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर| आप सभी की जानकारी के लिए बता दें की जो प्रश्नोत्तर हम आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं वह “असहयोग आन्दोलन” के बारे में है| हमने इस पोस्ट के माध्यम से जितने भी प्रश्नों के उत्तर लिखें है ओ सभी पिछले किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा चुके है| हमने आप सभी की सिबिधा के लिए प्रश्न के सामने उसके पूछे गये वर्ष को भी लिखा है जिस से आप सभी को समझ में आसानी से आ सके| दोस्तों आप सभी ये सरे प्रश्न नीचे पोस्ट के माध्यम से पढ़ सकते हैं,आप चाहें तो यह जानकारी नीचे PDF में भी डाउनलोड कर सकते हैं|
असहयोग आंदोलन-पिछले वर्षों के विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नोत्तर
प्रश्न- निम्नलिखित में से 1920 के नागपुर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया था? (u.p.p.c.s(pre) 2011
(a ) सी. आर. दास ने
(b) एनी बेसेंट ने
(c) बी. सी. पाल ने
(d) मदन मोहन मालवीय ने
उत्तर- सी. आर. दास ने
व्याख्या- सितंबर 1920 में कोलकाता में संपन्न भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी ने असहयोग के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया था जिसका सी. आर. दास ने विरोध किया था सितंबर 1920 में नागपुर में संपन्न कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव पर व्यापक चर्चा हुई तथा इसका अनुसमर्थन किया गया नागपुर अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव सी. आर. दास में ही प्रस्तावित किया था|
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प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहला असहयोग आंदोलन किस वर्ष में शुरू किया था?(m.p.p.c.s(pre) 1990)
उत्तर- 1920
व्याख्या- 1920 में कोलकाता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में पास हुए असहयोग संबंधी प्रस्ताव की दिसंबर 1920 में नागपुर में हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में पुष्टि कर दी गई|
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प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन किस वर्ष में प्रारंभ किया था? (b.p.s.c(pre) 2011)
उत्तर- 1920
व्याख्या- उपर्युक्त की व्याख्या देखें
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प्रश्न- महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आंदोलन था (u.p.p.c.s(pre) 2007)
उत्तर- असहयोग आंदोलन
व्याख्या- गांधी जी के नेतृत्व में पहला आंदोलन 1917 में चंपारन के नील की खेती करने वाले किसानों के समर्थन में किया गया था यह गांधीजी का प्रथम किसान सत्याग्रह था गांधी जी के नेतृत्व में किए जाने वाला पहला जन आंदोलन असहयोग आंदोलन को माना जाता है जो 1920 – 22 में चलाया गया था नमक आंदोलन 12 मार्च 1930 को प्रारंभ किया गया था भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत में 9 अगस्त 1942 में हुई थी|
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प्रश्न- खिलाफत के प्रश्न पर असहयोग आंदोलन कब शुरू हुआ?(m.p.p.c.s(pre) 1992)
उत्तर- 1920
व्याख्या- सितंबर 1920 में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कोलकाता में हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी की प्रेरणा से एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें दो अन्य पूर्व कार्यों के विरोध में सहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया(1) खिलाफत मुद्दे के प्रति ब्रिटिश सरकार का दृष्टिकोण(2) पंजाब के निर्दोष लोगों की रक्षा करने तथा उनसे बर्बर व्यवहार करने वाले अपराधी अधिकारियों को दंडित करने में ब्रिटिश सरकार की विफलता|
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प्रश्न- गांधी जी ने असहयोग आंदोलन कब प्रारंभ किया|(b.p.s.c(pre) 2008)
उत्तर- 1920
व्याख्या- गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को प्रारंभ किया गया पश्चिमी भारत बंगाल तथा उत्तरी भारत में असहयोग आंदोलन को अभूतपूर्व सफलता मिली असहयोग आंदोलन के दौरान ही मोतीलाल नेहरु लाला लाजपत राय सरदार वल्लभ भाई पटेल जवाहरलाल नेहरू तथा राजेंद्र प्रसाद न्यायालय का बहिष्कार कर आंदोलन में कूद पड़े थे|
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प्रश्न- 1 वर्ष में स्वराज का नारा गांधी जी ने कब दिया?(u.p.p.c.s(mains) 2012)
उत्तर- असहयोग आंदोलन के समय
व्याख्या- असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को औपचारिक रुप से प्रारंभ किया गया था तथा 5 नवंबर 1920 को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू होने के 1 वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त करने का नारा दिया|
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प्रश्न- 1 वर्ष के भीतर स्वराज की प्राप्ति लक्ष्य था?(u.p.p.c.s(mains) 2010)
उत्तर- असहयोग आंदोलन का
व्याख्या- उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें
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प्रश्न- निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा असहयोग आंदोलन मैं सही नहीं है?(u.p.p.c.s(mains) 2013)
(a) इस आंदोलन की अवधि 1920 से 1922 तक थी|
(b) 1 वर्ष के भीतर स्वराज की प्राप्ति इसका लक्ष्य|
(c) इसमें बहिष्कार की योजना थी|
(d) एम. ए. जिन्ना ने इस आंदोलन का समर्थन किया था
उत्तर- एम . ए. जिन्ना ने इस आंदोलन का समर्थन किया था
व्याख्या- असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को प्रारंभ हुई किंतु 5 फरवरी 1922 को हुए चोरी चोरा कांड के कारण महात्मा गांधी ने इसे वापस ले लिया था असहयोग आंदोलन का लक्ष्य 1 वर्ष के भीतर स्वराज की प्राप्ति था इसके साथ ही सरकारी उपाधि स्कूल न्यायालयों तथा विदेशी सामानों का पूर्णता अविष्कार की योजना भी थी परंतु मोहम्मद अली जिन्ना ने इसका समर्थन नहीं किया इसका विरोध किया था|
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प्रश्न- ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी को जो उपाधि दी थी और जिसे उन्होंने असहयोग आंदोलन में वापस कर दिया वही थी?(i.a.s(pre) 1993)
उत्तर- केसर- ए- हिंद
व्याख्या- जिस समय गांधी जी भारत आए उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था उन्होंने सरकार के युद्ध प्रयासों में मदद की जिसके लिए सरकार ने उन्हें केसर- ए- हिंद सम्मान से सम्मानित किया जिसे उन्होंने असहयोग आंदोलन में वापस कर दिया अन्य लोगों ने भी गांधी जी का अनुकरण करते हुए अपनी पदवी यो यो उपाधियों के को त्याग दिया यथा जमनालाल बजाज मैं अपनी रायबहादुर की उपाधि वापस कर दी|
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प्रश्न- निम्न में से किस ने असहयोग आंदोलन के दौरान अपनी वकालत छोड़ दी थी(u.p.p.c.s(pre) 1999)
उत्तर- चितरंजन दास ने
व्याख्या- असहयोग आंदोलन के दौरान सी. आर. दास मोतीलाल नेहरू राजेंद्र प्रसाद जवाहरलाल नेहरू विट्ठल भाई पटेल एवं वल्लभ भाई पटेल ने अपनी वकालत छोड़ दी थी|
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प्रश्न – निम्नलिखित में से किस ने असहयोग आंदोलन को समर्थन दिया परंतु इसके परिणाम नहीं देख सके?(u.p.p.c.s(pre) 2010
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) लाला लाजपत राय
(c) मोतीलाल नेहरू
(d) चितरंजन दास
उत्तर- बाल गंगाधर तिलक
व्याख्या- असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1920 से 1922 तक के संचालित हुआ बाल गंगाधर तिलक ने असहयोग आंदोलन को समर्थन दिया परंतु इस आंदोलन के प्रथम दिन 1 अगस्त 1920 को उनकी मृत्यु हो जाने के कारण वह इसका परिणाम नहीं देख सके|
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प्रश्न- किस क्षेत्र में राहुल सांकृत्यायन 26 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय थे?(b.p.s.c(pre) 2015)
उत्तर -छपरा
व्याख्या- राहुल सांकृत्यायन(1893- 1963) ने अपनी शिक्षा बनारस से पूर्व की 1912 ई मैं साधु बन गए और अपना नाम बाबा दामोदर दास रख लिया उन्होंने वर्ष 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया इन्हें 6 महीने की जेल भी हुई यह असहयोग आंदोलन के समय छपरा में वर्ष 1922 में यह छपरा डीसीसी के अध्यक्ष चुने गए|
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प्रश्न- निम्नलिखित में से कौन चौरी चौरा कांड की वास्तविक तिथि है?(u.p.p.c.s(mains) 2006)
(a) फरवरी 5 , 1922
(b) फरवरी 4, 1922
(c) फरवरी 2, 1922
(d) फरवरी6, 1922
उत्तर- फरवरी5, 1922
व्याख्या- चौरी चौरा कांड की वास्तविक तिथि 5 फरवरी 1922 है इस स्थिति को संयुक्त प्रांत के गोरखपुर जिले में चोरी चोरा नामक स्थान पर किसानों के एक जुलूस पर गोली चलाए जाने के कारण विरुद्ध भीड़ ने थाने में आग लगा दी जिससे 21 सिपाहियों की मौत हो गई यही घटना इतिहास में चौरी चौरा कांड के नाम से प्रसिद्ध है |
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प्रश्न- चोरी चोरा किस जनपद में स्थित है(u.p.p.c.s(mains) 2008)
उत्तर- गोरखपुर में
व्याख्या- उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें
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प्रश्न- किस घटना के कारण गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस लिया था?(b.p.s.c(pre) 2004)
उत्तर- चोरी चोरा कांड
व्याख्या- 5 फरवरी 1922 को हुए चौरी चौरा कांड से छुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया 12 फरवरी 1922 को बारदोली मैं हुई कांग्रेस की बैठक में आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया गया आंदोलन समाप्त करने के अपने निर्णय के बारे में गांधी जी ने यंग इंडिया में लिखा कि आंदोलन हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान हर एक अंतरा पूर्ण बहिष्कार यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूं|
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प्रश्न- महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया क्योंकि(u.p.p.c.s(pre) 1990)
उत्तर- चोरी चोरा में हिंसा भड़क उठी
व्याख्या- उपर्युक्त कथन की व्याख्या देखें
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प्रश्न- महात्मा गांधी ने 1922 में असहयोग आंदोलन क्यों वापस ले लिया था?(u.p.p.c.s(pre) 2006)
उत्तर- चोरी चोरा में हुई हिंसा के कारण
व्याख्या- उपयुक्त प्रश्नों की व्याख्या देखें
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प्रश्न- किस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को अपनी हिमालय जैसी भूल बताई थी?(b.p.s.c(pre) 2015 )
उत्तर- चौरी चौरा
व्याख्या– चौरी चौरा उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास एक कस्बा है जहां 5 फरवरी 1922 को आंदोलनकारियों की भीड़ ने ब्रिटिश शासन की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे 22 पुलिस कर्मचारी जिंदा जलकर मर गए थे गांधीजी ने इस घटना की निंदा कि तथा सहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया गांधी जी ने इस घटना को हिमालय जैसी भूल की संज्ञा दी |
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प्रश्न – चौरी चौरा कि घटना के समय महात्मा गांधी कहां थे?(u.p.p.c.s(mains) 2011)
उत्तर- बारदोली में
व्याख्या- 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर के निकट चौरी चौरा की घटना हुई थी और गांधी जी ने 12 फरवरी 1922 को बारदोली मैं कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाकर असहयोग आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी चौरी चौरा की घटना के समय गांधी जी गुजरात के बारडोली में सामूहिक सत्याग्रह द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने की तैयारी कर रहे थे|
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प्रश्न- असहयोग आंदोलन 1930 में प्रारंभ हुआ था बताइए यह कब समाप्त हुआ?(m.p.p.c.s(pre) 2006)
उत्तर- 1922
व्याख्या- उपरोक्त प्रश्न की ब्याख्या देखें
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प्रश्न- दिल्ली में 24 फरवरी 1922 को आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में असहयोग आंदोलन वापस लेने के लिए गांधीजी के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया था?(u.p.p.c.s(mains) 2002)
उत्तर- डॉ. मुंजे
व्याख्या- असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को प्रारंभ हुआ किंतु 5 फरवरी 1922 को हुए चौरी चौरा कांड के कारण नहीं जी ने इसे वापस ले लिया इस परिप्रेक्ष्य मैं 24 फरवरी 1922 को आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की दिल्ली में बैठक हुई जिसमें एसिड सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई जिसने कानून का उल्लंघन होता है इसी अधिवेशन में असहयोग आंदोलन वापस लेने के कारण डा . मुंजे के द्वारा गांधी जी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लगाया गया|
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प्रश्न- निम्नलिखित घटनाओं का सही क्रम नीचे दिए गए कूट से बताएं?(u.p.p.c.s(pre) 2001)
(1) चोरी चोरा कांड
(2) असहयोग आंदोलन का स्थगन
(3) बारदोली
कूट :
(a)1,2,3
(b)2,3,1
(c)1,3,2
(d)2,1,3
उत्तर-1,3,2
व्याख्या-
(1) चोरी चोरा कांड 5 फरवरी 1922
(2) बारदोली प्रस्ताव 12 फरवरी 1922
(3) असहयोग आंदोलन का अस्थगन 1922 बारडोली कांग्रेस की बैठक हुई जिसमें असहयोग आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया गया और आंदोलन समाप्त हो गया इस प्रकार सही उत्तर विकल्प ही सही है|
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प्रश्न- 1923-28 के काल में भारतीय राजनीति में क्रांतिकारी कार्य विधियों की पुनरावृति का कारण था?(b.p.s.c(pre) 1996)
उत्तर- गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन का स्थगन
व्याख्या- 1922 के बाद असहयोग आंदोलन के स्थगन और देश में किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों के आभाव से बहुत से क्षमतावान राष्ट्रवादी युवाओं का मोहभंग हो गया यह गांधी जी के नैतिक और अहिंसात्मक संघर्ष की राजनीति से भी असंतुष्ट है यह रूप चीन आयरलैंड तुर्की मित्र आदि मैं कहीं भी होने वाली क्रंतिकारी आंदोलन और विरोध से अनुप्राणित होकर हिंसात्मक माध्यम से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए प्रयासरत थे इस कारण यह काल भारतीय राजनीति में क्रांतिकारी कार्य विधियों के बिना जीत का काल माना जाता है|
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प्रश्न- असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्त्रों के लिए जलाए जाने पर किस ने महात्मा गांधी को लिखा कि यहां निष्ठुर बर्बादी है?(u.p.u.d.a\.l.d.a.(pre) 2002)
उत्तर- रविंद्र नाथ टैगोर
व्याख्या- रविंद्र नाथ टैगोर आंदोलन एवं विरोध प्रदर्शन के विपरीत रचनात्मक कार्यक्रम को विशेष महत्व प्रदान करते थे जिसके कारण उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के विपरीत गांधी जी को रचनात्मक कार्यक्रम अपनाने की बात अपने पत्र में कहीं असहयोग आंदोलन के दौरान रविनाथ टाइगर ने विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने को अबिबेकी यह निष्ठुर
और बर्बादी कहा था|
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प्रश्न- निम्नलिखित में से किस ने असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्त्रों के जलाए जाने का विरोध किया था?(u.p.p.c.s(mains) 2013)
उत्तर- रविंद्र नाथ टैगोर
व्याख्या- उपरोक्त कथन की व्याख्या देखें
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प्रश्न – 1921- 22 के असहयोग आंदोलन का मुख्य प्रतिफल था(u.p.p.c.s.(pre) 2005)
उत्तर– हिंदू मुस्लिम एकता
व्याख्या– असहयोग आंदोलन अपने घोषित उद्देश्यों में आंशिक रूप से ही सफल रहा परंतु अपने रचनात्मक कार्यों में इसे अवश्य अपार सफलता मिली आंदोलन की सफलता सबसे अधिक किस बात में निहित है किसने कांग्रेस को नई दिशा प्रदान की साम्राज्यवाद पर आघात किया एक पूरे देश में राष्ट्र प्रेम और देश प्रेम के प्रति बलिदान की भावना को व्यापक रूप से दिया इस आंदोलन के दौरान हिंदू मुस्लिम एकता अपने चरम पर थी|
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प्रश्न – निम्नलिखित में किसका फोटो नहीं है?(u.p.p.c.s.(pre) 1996)
उत्तर- 1930 -असहयोग आंदोलन
व्याख्या- असहयोग आंदोलन का प्रारंभ 1 अगस्त 1920 को हुआ था जो चौरी चौरा की घटना के बाद फरवरी 1922 में अस्त गीत घोषित किया गया 1930 में सभी ने अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हुआ था अन्य तीनों युग्म सुमेलित है|
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प्रश्न- निम्नलिखित में से कौन सही संलेख है?(u.p.p.c.s(mains) 2004)
(a) 1940- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन
(b) 1931- राजगुरु को फांसी
(c) 1921- असहयोग आंदोलन का प्रारंभ
(d) 1920 रोलेट सत्याग्रह
उत्तर- 1931- राजगुरु को फांसी
व्याख्या- 31 दिसंबर 1929- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन
30 मार्च 1931- भगत सिंह सुखदेव राजगुरु को फांसी
1 अगस्त 1920- असहयोग आंदोलन का आरंभ
अप्रैल 1919- रोलेट सत्याग्रह
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असहयोग आंदोलन Live PDF View
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