भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय अधिकारिता को समझाइए ।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय अधिकारिता को समझाइए ।(Explain the appellate jurisdiction of the Supreme Court of India.)

अपीलीय अधिकारिता (Appellate Jurisdiction)- उच्चतम न्यायालय देश का सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय है। उसके अपीलीय क्षेत्राधिकार निम्नलिखित चार प्रकार के हैं

  1. संवैधानिक मामले (Constitutional Cases);
  2. दीवानी मामले (Civil Cases),
  3. फौजदारी मामले (Criminal Cases), और
  4. विशेष अनुमति से अपील।

1.संवैधानिक मामले (Constitutional Cases)

अनुच्छेद 132 के अन्तर्गत, किसी भी दीवानी, फौजदारी या ‘अन्य कार्यवाही’ में, भारत के किसी भी उच्च न्यायालय के निर्णय, डिक्री या अन्तिम आदेश के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है, यदि वह उच्च न्यायालय, अनुच्छेद 134- क के अन्तर्गत, यह प्रमाणित कर दे कि उस मामले में संविधान के निर्वाचन से सम्बन्धित कोई सारवान विधि का प्रश्न अन्तर्ग्रस्त है।

‘अन्य कार्यवाही’ के अन्तर्गत मालसम्बन्धी कार्यवाही और आयकर अधिनियम या बिक्री कर अधिनियम के अन्तर्गत कार्यवाहियाँ भी शामिल हैं। इसलिये यह क्षेत्राधिकार अत्यन्त विस्तृत है।

2. दीवानी मामलों में अपील (Appeal in Civil Cases)

अनुच्छेद 133 के अन्तर्गत सिविल मामलों में, भारत के किसी भी उच्च न्यायालय के निर्णय, डिक्री या अन्तिम आदेश के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है यदि वह उच्च न्यायालय, अनुच्छेद 134- क के अन्तर्गत निम्नलिखित दो बातें प्रमाणित कर दे

  • यह कि मामले में सार्वजनिक महत्व का कोई सारवान विधि का प्रश्न अन्तर्ग्रस्त है,
  • यह कि उच्च न्यायालय की राय में कथित प्रश्न का निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा और किये जाने की आवश्यकता है।

3. फौजदारी मामलों में अपील (Appeal in Criminal Cases)

अनुच्छेद 134 के अन्तर्गत फौजदारी मामलों में भारत के किसी भी उच्चतम न्यायालय के निर्णय, अन्तिम आदेश या दण्डादेश के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है, यदि उच्च न्यायालय ने-

  • अपील में किसी अभियुक्त व्यक्ति की दोष-मुक्ति (acquittal) के आदेश को उलट दिया है और उसे मृत्यु दण्ड दिया है, या
  • किसी मामले को अपने अधीनस्थ किसी न्यायालय को परीक्षण के लिये अपने पास बुला लिया है और ऐसे परीक्षण में अभियुक्त व्यक्ति को दोषसिद्ध करते हुए मृत्युदण्ड दिया। हैं, या
  • अनुच्छेद 134- क के अन्तर्गत यह प्रमाणित कर दिया है कि मामला उच्चतम न्यायालय में अपील किये जाने के लिये उपयुक्त है।

पृथक्करणीयता का सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें(Write a short note on the Doctrine of Severability)

उच्चतम न्यायालय में अपील करने के लिये उच्च न्यायालय द्वारा प्रमाण-पत्र संविधान

(44 संशोधन) अधिनियम, 1978 द्वारा जोड़ा गया नया अनुच्छेद 134-क, संवैधानिक मामलों में अनुच्छेद 132 के अन्तर्गत, दीवानी मामलों में अनुच्छेद 133 के अन्तर्गत, फौजदारी मामलों में अनुच्छेद 134 के अन्तर्गत, उच्चतम न्यायालय में अपील करने के लिये अपेक्षित उच्च न्यायालय के द्वारा प्रमाण-पत्र के लिए यह उपबन्धित करता है।

ऐसा प्रमाण पत्र उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा नहीं दिया जा सकता है। [ए० बी० रंगा राव बनाम आई० आर० रेड्डी, ए० आई० आर० 2017 एस० सी० 2042]1

4. विशेष अनुमति से अपील (Appeal by special leave)

अनुच्छेद 136 के अन्तर्गत उच्चतम न्यायालय, अपने स्वविवेक से, भारत के किसी भी न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा किसी भी वाद या विषय में पारित किये गये किसी भी निर्णय, डिक्री, अभिनिश्चय, दण्डादेश या आदेश के विरुद्ध अपील करने की विशेष अनुमति मंजूर कर सकता है।

किन्तु उपर्युक्त उपबन्ध, किसी ऐसे न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा, जो सशस्त्र बलों (सेनाओं) से सम्बन्धित किसी विधि के द्वारा या उसके अधीन गठित हुआ हो, पारित किसी निर्णय, अभिनिश्चय, दण्डादेश या आदेश को लागू नहीं होंगे।

अनुच्छेद 136 के अन्तर्गत अपील करने की विशेष अनुमति मंजूर करने की उच्चतम न्यायालय की शक्ति बहुत विस्तृत है, किन्तु वह उसके स्वविवेक के अधीन भी है। इसलिये यह अनुच्छेद किसी व्यक्ति के पक्ष में अपील करने का कोई अधिकार उत्पन्न नहीं करता है।

अनुच्छेद 136 के अन्तर्गत किसी तीसरे व्यक्ति के द्वारा (अर्थात् जो व्यक्ति पक्षकार नहीं है) भी उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है।

ढाकेश्वरी कॉटन मिल्स बनाम कमिश्नर ऑफ इन्कम टैक्स, बंगाल (AIR 1955) के बाद में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा है कि “यह एक विशिष्ट तथा अभिभावी शक्ति है और इसे बहुत कम तथा सावधानी के साथ विशेष एवं असाधारण परिस्थिति में हो प्रयुक्त किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त किसी सुनिश्चित सूत्र या नियम के द्वारा उसके प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाना सम्भव नहीं है।”

न्यायिक पुनर्विलोकन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें(Write a short note on Judicial Review)

यूनियन कार्बाइड मामला [(1991) 4 SCC 584] तथा दिल्ली न्यायिक सेवा संघ बनाम गुजरात राज्य (AIR 1991, 2177) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि अनुच्छेद 136 के अधीन प्राप्त शक्ति न्यायालय की व्यापक एवं पूर्ण शक्ति है तथा इस पर अनुच्छेद 132, 133, 134 तथा 134 (2) का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अन्तर्गत न्यायालय को देश के किसी भी न्यायालय और अभिकरण के निर्णय में हस्तक्षेप करने तथा उसे ठोक करने की शक्ति प्राप्त है। उसे देश के किसी न्यायालय से अपील सुनने की शक्ति भी है।

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