ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव-परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

British rule impact on Indian economy-Hello Readers आज हम आप सभी छात्र-छात्राओं के लिए इस पोस्ट के माध्यम से एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी शेयर कर रहे हैं जो आप सभी के होने वाली आगामी परीक्षाओ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं| दोस्तों अगर आप एकल प्रतियोगी छात्र हैं तो आप इस जानकारी को अवश्य पढ़ें| दोस्तों इस पोस्ट में आप सभी के लिए जो जानकारी शेयर कर रहे हैं वह “ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव-परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य” की हैं| दोस्तों अगर आप सभी विभिन्न होने वाली Competitive exams की तैयारी कर रहे हैं तो आप सभी इस जानकारी को एक बार अवश्य पढ़ें|

आप सभी के होने वाली आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में यहाँ से प्रश्न अवश्य पूछे जायेंगे| हम आप सभी के लिए नीचे लिस्ट के माध्यम से पूरी जानकारी हिंदी में शेयर कर रहे हैं जिसे आप सभी अच्छे से पढ़ कर अपने आगामी होने वाली परीक्षा के लिए तैयारी कर सकते हैं|

ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  1. भारत में उपनिवेशिक शासन काल में “होम चार्जेज” भारत से संपत्ति दोहन का महत्वपूर्ण अंग थे| वह निधियां जो होम चार्जेज की संगठक थी- लंदन में इंडिया ऑफिस के भरण-पोषण के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली निधि; भारत में कार्यरत अंग्रेज कर्मचारियों के वेतन तथा पेंशन देने हेतु प्रयोग में लाई जाने वाली निधि
  2. शब्द “इंटीरियर प्रेफरेंस” का प्रयोग किया जाता था- भारत में ब्रिटिश आयातों पर दी गई विशेष रियासतों के लिए
  3. ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में उद्योगों का कोई स्वतंत्र विकास नहीं हुआ| इसका कारण था- भारी उद्योगों का अभाव
  4. इस्तमरारी बंदोबस्त लागू किया- लार्ड कार्नवालिस ने
  5. ‘स्थाई बंदोबस्त’ प्रारंभ किया गया था- लार्ड कार्नवालिस के प्रशासन काल में
  6. स्थाई बंदोबस्त किया गया- जमींदारों से
  7. लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थाई बंदोबस्त लागू किया गया- 1793 ई. में
  8. चिरस्थाई बंदोबस्त, 1793 के अंतर्गत जमीदारों से अपेक्षा की गई थी कि वे खेतिहरों को पट्टा जारी करेंगे| अनेक जमीदारों ने पट्टा जारी नहीं किया| जिसका कारण था- जमींदारों के ऊपर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं था
  9. बिहार में ‘परमानेंट सेटलमेंट’ लागू करने का कारण था- जमींदारों के लिए जमीन पर वंश परंपरागत अधिकार को स्वेच्छा से हस्तांतरित करने का अधिकार
  10. …….. में बंगाल और बिहार में भूमि पर किरायेदारों के अधिकारों को बंगाल किरायेदारी अधिनियम द्वारा दिया गया था|- 1885 ई.
  11. सर टॉमस मुनरो जिस भू-राजस्व बंदोबस्त में सम्बद्ध हैं| वहां है- रैयतवाड़ी बंदोबस्त
  12. अंग्रेजों ने रैयतवाड़ी बंदोबस्त लागू किया था- मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी में
  13. अंग्रेजों ने रैयतवाड़ी व्यवस्था सर्वप्रथम प्रारंभ की थी- मद्रास प्रेसिडेंट में
  14. ब्रिटिश व्यवस्था में रैयतवाड़ी भू राजस्व संग्रह प्रचलित था- दक्षिण भारत में
  15. रैयतवाड़ी बंदोबस्त के संदर्भ में सही कथन है- किसानों द्वारा लगान सीधे सरकार को दिया जाता था; सरकार रैयत को पट्टे देती थी; कर लगाने के पूर्व भूमिका सर्वेक्षण और मूल्य निर्धारण किया जाता था|
  16. असम में सर्वप्रथम चाय कंपनी की स्थापना हुई- 1839 ई. में
  17. दादाभाई नौरोजी द्वारा प्रतिपादित ‘अपवाह सिद्धांत’ (Drain Theory) की सही परिभाषा है- भारत की राष्ट्रीय संपदा का एक भाग अथवा कुल वार्षिक उत्पाद ब्रिटिश को निर्यात कर दिया जाता था जिसके लिए भारत को कोई वास्तविक प्रतिफल नहीं मिलता था|
  18. अंग्रेजों के शासनकाल में भारत के “आर्थिक दोहन” के सिद्धांत को प्रतिपादित किया- दादा भाई नौरोजी ने
  19. ‘निकास के सिद्धांत’ का प्रतिपादन किया था- दादा भाई नौरोजी ने
  20. भारत में उपनिवेशवाद का/ के आर्थिक आलोचक था/ थे –दादाभाई नौरोजी, जी. सुब्रमण्यम अय्यर तथा आर. सी. दत्त
  21. बाल गंगाधर तिलक, आर.सी. दत्त, एम. जी. रानाडे तथा सर सैयद अहमद खां में से दादाभाई नौरोजी के उत्सारण सिद्धांत (Drain Theory) में विश्वास नहीं करता था- सर सैयद अहमद खान
  22. ‘पावर्टी एंड द अनब्रिटिश रूल इन इंडिया’ नामक पुस्तक लिखी- दादा भाई नौरोजी ने
  23. दादाभाई नौरोजी की भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को सर्वाधिक प्रभावित दिन थी की- उन्होंने इस बात को अभिव्यक्त किया कि ब्रिटिश भारत का आर्थिक शोषण कर रहा है
  24. भारत में ‘ब्रिटिश आर्थिक नीति’ घिनौनी है यह विचार व्यक्त किया था- कार्ल मार्क्स ने

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