Ancient History

Write a short note on Documentation.

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short note on Documentation: Any material that is used to describe, explain or instruct regarding some attributes of an object, system, or procedure, such as its parts, assembly, installation, maintenance, and use is called Documentation. Documentation is provided on paper, digital (online), and audio tape (CDs). Documentation is distributed through websites, software products, and other …

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हड़प्पा नगरों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

हड़प्पा नगरों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

हड़प्पा नगरों की प्रमुख विशेषताये हड़प्पा के नगर जाल की तरह व्यवस्थित थे। तद्दुसार सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। प्रत्येक नगर दो भागों में विभक्त थे- पश्चिमी टीले और पूर्वी टीले। पश्चिमी टीले अपेक्षाकृत ऊंचे किन्तु छोटे होते थे। इन टीलों पर किले अथवा दुर्ग स्थित थे। पूर्वी टीले पर नगर या आवास …

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हड़प्पा सभ्यता की विशेषतायें बताइये।

हड़प्पा सभ्यता की विशेषतायें बताइये।

हड़प्पा सभ्यता की विशेषतायें हड़प्पा सभ्यता की विशेषतायें – हड़प्पा का पुरास्थल पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में माण्टगोमरी जिले में (आधुनिक शाहीवाल) रावी नदी के बाएं तट पर स्थित था। इसका सर्वप्रथम उल्लेख 1826 ई. में चार्ल्स मेसन ने किया। हड़प्पा का दूसरा उल्लेख तब आया जब 1856 ई. में करांची से लाहौर रेलवे लाइन …

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हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।

हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।

हड़प्पा सभ्यता के पतन सैंधव सभ्यता जिस द्रुतगति से प्रकाश में आयी उसी गति से ही यह विनष्ट हो गई । हड़प्पा सभ्यता के पतन के लिए विद्वानों ने कई कारण बताए हैं। जैसे बाढ़, आर्यों का आक्रमण, जलवायु परिवर्तन, भू-तात्विक परिवर्तन, व्यापार में गतिरोध, प्रशासनिक शिथिलता, महामारी एवं साधनों का अधिक उपभोग आदि। 1.बाढ़ …

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हड़प्पा सभ्यता के विस्तार को रेखांकित कीजिए।

हड़प्पा सभ्यता के विस्तार को रेखांकित कीजिए।

हड़प्पा सभ्यता के विस्तार हड़प्पा सभ्यता के विस्तार को रेखांकित- हड़प्पा अथवा सैन्धव सभ्यता का विस्तार बहुत विस्तृत था। सन् 1921 में जब पश्चिमी पंजाब के हड़प्पा स्थल पर इस सभ्यता का पता चला और अगले वर्ष एक अन्य प्रमुख स्थल मोहनजोदड़ो की खोज हुई, तब यह सोचा गया कि यह सभ्यता अनिवार्यतः सिन्धु घाटी …

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सैंधव कालीन कला पर प्रकाश डालिए Throw light on the art of Sandhava period

सैंधव कालीन कला पर प्रकाश डालिए Throw light on the art of Sandhava period

सैंधव कालीन कला के अन्तर्गत प्रस्तर, धातु एवं मृण्मूर्तियों का उल्लेख किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मुहरें, मनके और मृद्भाण्ड एवं लघु कलाएं इनके सौन्दर्य बोध को इंगित करती है। प्रस्तर मूर्तियाँ मोहनजोदड़ों से एक दर्जन तथा हड़प्पा से तीन प्रस्तर मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। अधिकांश पाषाण मूर्तियां खंडित हैं। मोहनजोदड़ों से प्राप्त 12 …

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ईरान के अखामनी साम्राज्य का वर्णन कीजिए।तथा भारत पर हुए ईरानी (पारसिक ) आक्रमण का विस्तृत वर्णन कीजिए।

ईरान के अखामनी साम्राज्य का वर्णन कीजिए।तथा भारत पर हुए ईरानी (पारसिक ) आक्रमण का विस्तृत वर्णन कीजिए।

छठी शतब्दी ई.पू. में ईरान में साइरस नामक व्यक्ति ने अखामनी साम्राज्य की स्थापना की थी। पारसीकों ने भारत पर आक्रमण किया अथवा नहीं विद्वानों में मतभेद है। कुछ विद्वानों का तर्क है कि पारसीक आक्रमण भारत पर नहीं हुए। छठीं शतब्दी ई. पू. में एक ओर मध्य भारत में मगध साम्राज्य का विस्तार हो …

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प्राचीन भारत पर पारसीक (पारसी) आक्रमण एवं उसके प्रभावों की विवेचना कीजिए।

प्राचीन भारत पर पारसीक (पारसी) आक्रमण एवं उसके प्रभावों की विवेचना कीजिए।

भारत पर सर्वप्रथम जो विदेशी आक्रमण हुए वह पारसी अर्थात ईरान की ओर से किया गया था। ईरानी शासक डेरियस या दारा प्रथम ने 519-513 ई. पू. के बीच सिन्धु प्रदेश पर विजय प्राप्त की। हमदान एवं नक्श-ए-रूस्तम अभिलेखों से डेरियस द्वारा सिन्धु प्रदेश पर विजय की पुष्टि होती है। हेरोडोटस भी इस विजय की …

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बुद्धयुगीन प्रमुख गणराज्यों का वर्णन।छठी शतब्दी ई.पू. के गणराज्यों पर एक टिप्पणी।

बुद्धयुगीन प्रमुख गणराज्यों का वर्णन।छठी शतब्दी ई.पू. के गणराज्यों पर एक टिप्पणी।

बुद्धयुगीन प्रमुख गणराज्य-प्रारम्भ में इतिहासकारों का एक बहुत बड़ा वर्ग यह मान चुका था कि प्राचीन भारत में केवल राजतन्त्रों का ही अस्तित्व था लेकिन 1903 में रिचर्ड डेविस द्वारा गणतन्त्रों की खोज के कारण यह धारणा बदल गई और सभी ने उस बात को स्वीकार कर लिया कि राजतन्त्रों के साथ ही साथ गणतन्त्रों …

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महाजनपद क्या है? छठी शताब्दी ई.पू. षोडश 16 महाजनपदों का उल्लेख।

महाजनपद क्या है? छठी शताब्दी ई.पू. षोडश 16 महाजनपदों का उल्लेख।

छठी शतब्दी ई.पू. में भारत की राजनैतिक दशा छठी शतब्दी ई.पू. का काल समाज से जुड़ी प्रत्येक गतिविधियों में क्रान्तिकारी परिवर्तनों के लिए जाना जाता है। जहाँ सामाजिक क्षेत्र में क्षत्रियों द्वारा ब्राह्मणों को चुनौती मिली, तो धार्मिक क्षेत्र में ब्राह्मण धर्म के विरूद्ध जैन तथा बौद्ध धर्म ने चुनौती प्रस्तुत किया लेकिन सबसे महत्वपूर्ण …

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