दस्तावेज तथा मूल्यवान प्रतिभूति (Document and Valuable Security)

इस आर्टिकल में आप सभी को हम दस्तावेज तथा मूल्यवान प्रतिभूति (एक साथ) शेयर करने वाले हैं। जो छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तयारी कर रहे हैं उन सभी के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा।

दस्तावेज (Document)

भारतीय दण्ड सहिता की धारा 29 के अनुसार- “दस्तावेज शब्द किसी भी विषय का है, जिसको किसी पदार्थ पर अक्षरों, अंकों या चिन्हों के साधन द्वारा या उनमें से एक से अधिक साधनों द्वारा अभिव्यक्त या वर्णित किया गया हो, जो उस विषय के साक्ष्य के रूप में उपयोग किये जाने को आशयित हो या उपयोग किया जा सके।”

स्पष्टीकरण – (1) यह महत्वपूर्ण नहीं है कि किस साधन द्वारा या किस पदार्थ पर अक्षर, अंक या चित्र बनाये गये हैं या कि साक्ष्य किसी न्यायालय के लिये आशयित है या नहीं या उसमें उपयोग किया जा सकता है या नहीं।

दृष्टान्त –

  • वह लेख जिसमें संविदा की बातें व्यक्त की जायें जो संविदा के साक्ष्य में प्रयोग की जा सकें, दस्तावेज हैं। दस्तावेज है।
  • बैंकर को दिया गया चैक
  • मुख्तारनामा दस्तावेज है।
  • मानचित्र या रेखांक, जिसको साक्ष्य के रूप में उपयोग में लाने का आशय हो या जो उपयोग में लाया जा सके, दस्तावेज है।
  • जिस लेख में निदेश या अनुदेश निहित हो वह दस्तावेज है।

स्पष्टीकरण ( 2 ) – अक्षरों, अंकों, चिन्हों से जो कुछ भी वाणिज्यिक या अन्य प्रथा के अनुसार व्याख्या करने पर अभिव्यक्त होता हो वह इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत ऐसे अक्षरों, अंकों या चिन्हों से अभिव्यक्त हुआ समझा जायेगा चाहे वह वस्तुतः अभिव्यक्त न भी किया गया हो।

उदाहरणार्थ- अ एक विनिमयपत्र की पीठ पर जो उसके आदेश के अनुसार देय है, अपना नाम लिख देता है। वाणिज्यिक प्रथा के अनुसार व्याख्या करने पर उस पृष्ठांकन का अर्थ है कि धारक को विनिमयपत्र का भुगतान कर दिया जाये। पृष्ठांकन दस्तावेज है और उसका अर्थ उसी प्रकार लगाया जाना चाहिये मानो हस्ताक्षर के ऊपर ‘धारक को भुगतान करो’ शब्द या उस समय प्रभाव वाले शब्द लिख दिये गये हैं।

साधारण शब्दों में ‘दस्तावेज’ शब्दों से तात्पर्य किसी ऐसे विषय से है जो किसी पदार्थ पर अक्षरों, अंकों, या चिन्हों के साधन द्वारा या इनमें से एक से अधिक साधनों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है। यह इस आशय से अभिव्यक्त या वर्णित किया गया है कि उस विषय का साक्ष्य के रूप में उपयोग होगा अथवा उपयोग किया जायेगा। न्यायालय द्वारा किये गये निर्णय के आधार पर पाँच व्यक्तियों द्वारा किये गये समझौते की लिखत, वृक्ष की छाल पर अंकित किये गये चिह्न, मुद्रा को भी दस्तावेज में सम्मिलित किया जा सकता है। कर निर्धारण का आदेश दस्तावेज माने गये हैं।

इस प्रकार इस धारा में दिये स्पष्टीकरण तथा दृष्टान्त ‘दस्तावेज’ शब्द के विस्तार क्षेत्र में वृद्धि करते हैं। करेंसी नोट को भी दस्तावेज की परिभाषा में सम्मिलित किया जा सकता है।

मूल्यवान् प्रतिभूति (Valuable security)

‘मूल्यवान प्रतिभूति’ शब्द उस दस्तावेज का द्योतक है जो ऐसा दस्तावेज है या होना तात्पर्वित है जिसके द्वारा कोई विधिक अधिकार सृजित, विस्तृत, अन्तरित, निर्बन्धित या निर्वाचित किया जाये, छोड़ा जाये या जिसके द्वारा कोई व्यक्ति यह अभिस्वीकार करता है कि वह विधिक दायित्व के अधीन है या अमुक विधिक अधिकार नहीं रखता है।” [ धारा 30]

उदाहरण-‘क’ एक विनिमयपत्र की पीठ पर अपना नाम लिख देता है। इस पृष्ठांकन का प्रभाव किसी व्यक्ति को, जो उसका विधिपूर्वक धारक हो जाये, उस विनिमयपत्र पर का अधिकार अन्तरित किया जाना है इसलिए यह पृष्ठांकन मूल्यवान् प्रतिभूति है।

मूल्यवान प्रतिभूति

दस्तावेज की एक जाति कही जा सकती है। निर्णीत वादों के आधार पर निम्नलिखित को मूल्यवान् प्रतिभूति माना जा सकता है-

  1. पट्टा, जिसका आशय पक्षकार के पक्ष में विधिक अधिकार का सृजन करना है।
  2. विमुक्ति पत्र,
  3. विवाह विच्छेद का विलेख,
  4. किरायानामा,
  5. लाटरी टिकट,
  6. पासपोर्ट, जो विधिक अधिकार का सृजन करता है,
  7. कर निर्धारण आदेश
  8. बीमा के लिये प्रस्ताव ।

परन्तु किसी मूल्यवान् प्रतिभूति की प्रतिलिपि, पट्टे की प्रतिभूति की नकल, न्यायालय द्वारा पारित की गयी डिक्री की नकल, लेखा पुस्तिका आदि को मूल्यवान् प्रतिभूति नहीं माना गया है।

मानव अधिकार की अभिवृद्धि एवं विकास में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका की विवेचना कीजिये। Discuss the role of the United Nations in the development and promotion of human rights.

दस्तावेज व मूल्यवान् प्रतिभूति में अन्तर (Differences between Document and Valuable Security)-

(i) ‘दस्तावेज’ शब्द अधिक व्यापक है जबकि मूल्यवान् प्रतिभूति दस्तावेज की एक जाति मात्र कहा जा सकता है।

(ii) सभी मूल्यवान् प्रतिभूतियों दस्तावेज होती हैं परन्तु सभी दस्तावेज मूल्यवान् प्रतिभूति नहीं होते।

(iii) केवल ऐसे दस्तावेज ही मूल्यवान् होते हैं जो किसी विधिक अधिकार का सृजन, विस्तार, हस्तांतरण या प्रतिबन्धन आदि करते हैं। परन्तु इसके विपरीत दस्तावेज से तात्पर्य ऐसे विषय से है जो किसी पदार्थ पर अक्षरों, अंकों या चिह्नों के साधन द्वारा या इनमें से अधिक साधनों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है।

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