Eyes and Eyes related disease and treatment

Eyes and Eyes related disease and treatment

Eyes and Eyes related disease:- पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव धारियों के लिए आंखें एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में कार्य करती है। जैसा कि हमें पता है कि किसी भी मनुष्य के जीवन को खुशहाल और रंग-बिरंगे बनाने के लिए आंखें महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। बिना आंखों के हमारा जीवन अंधकार में हो जाता है। आज के लेख में हम आपको आंखों की संरचना एवं आंखों से संबंधित रोगों तथा उपचार (Eyes and Eyes related disease and treatment) के बारे में जानकारी देंगे जिसकी मदद से आप विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं एवं 10वीं तथा 12वीं पाठ्यक्रम की तैयारी उचित प्रकार से कर सकते हैं। आंख एक संवेदी अंग होता है जो दृष्टि के लिए जिम्मेदार होता है मनुष्य की आंखें रंगों में अंतर स्पष्ट करने एवं किसी छवि बनाने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

हम सभी को यह मालूम है, कि आंखों पर जब प्रकाश की किरण एकत्र होती है| तो वह प्रकाश पर एकत्रित होकर वस्तु के छाया का निर्माण करती है| जिससे वस्तु हमें स्पष्ट रूप से दिखने लगती है। जीव धारियों की आंखों को कैमरे के समान माना जाता है। क्योंकि आंखें वस्तुओं की छवि को अपने अंदर निर्माण करते हैं जो मस्तिष्क के द्वारा पढ़ी जाती हैं। आइए अब आपको आंखों से संबंधित उनकी संरचना एवं रोगों के बारे में जानकारी देते हैं।

मानव नेत्र (Structure of Eye)

मनुष्य के चेहरे की हड्डियों में दो खोखले नुमा आकार के संरचना पाई जाती हैं जिन का व्यास लगभग 2 से ढाई सेंटीमीटर का होता है इन्हीं गड्ढे में आंखों के गोलक पाए जाते हैं। मनुष्य की आंखों का औसत भार सौ से डेढ़ सौ ग्राम तक होता है।

संरचना (Structure of Eye)-

मानव आंख के संरचना (Structure of Eye) सबसे जटिल संरचना मानी जाती है। मानव की आंखों का निर्माण मांसपेशियों एवं उसको से लेकर नसो एवं रक्त वाहिकाओं से हुआ है। मानव की आंखें पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं होती। आंखों के अंतिम भाग से एक खंड बना हुआ होता है जो सीधे हमारे मस्तिष्क से जुड़ा हुआ होता है। मानव आंख की संरचना (Structure of Eye) को पूर्ण रूप से पढ़ने के लिए इसे दो भागों में विभाजित किया गया है। आंखों के बाहरी संरचना पढ़ने के लिए हमें निम्न कोशिकांग ओ का अध्ययन करना होता है।

बाहरी संरचना (Outer Structure of Eye)

  • स्केलरा (scalera) – यह सफेद रंग का बाहर दिखने वाला हिस्सा होता है जो गणेश संयोजी ऊतकों से बना हुआ होता है और यह आंतरिक भागों को सुरक्षित रखने का कार्य करते हैं।
  • कंजेक्टिवा (conjunctiva)- या भाग श्वेत भाग को रेखांकित करता है। या भाग स्तरीकृत स्क्वैमस एपिथीलियम (layered squamous epithelium) ऊतको से बना होता है। या हमारी आंखों को नम और साफ रखने में मदद करता है। इस भाग से म्यूकस और आंसुओं का स्राव होता है। जिससे आंखों में चिकनाहट बनी रहती है।
  • कार्निया (cornea)- यह हमारी आंखों का पारदर्शी भाग होता है जो आंखों के सामने का हिस्सा होता है। या भाग पुतली और आइरिश को ढकता है। इनका मुख्य कार्य लेंस के साथ प्रकाश को अपवर्त्य करना होता है।
  • आइरिश (iris):- यह बाहरी रूप से दिखाई देने वाला आंखों का रंगीन भाग होता है। मनुष्य में या काले रंग का या भूरे रंग का होता है। आयरिश का मुख्य कार्य प्रकाश के स्रोत के अनुसार पुतली के आकार को कम करना या बढ़ाना होता है।
  • पुपिल (pupil):- यह आइरिस के केंद्र में स्थित एक छोटा सा क्षेत्र है। यह छिद्र प्रकाश को प्रवेश कराकर प्रकाश के पुण्य को रेटीना पर केंद्रित करने एवं चित्र का निर्माण करने जैसे अनेक कार्य करने होते हैं।

आंतरिक संरचना (Structure of Eye Inner part)

मानव नेत्र के आंतरिक संरचना (Structure of Eye Inner part) में निम्न घटक पाए जाते हैं

  • लेंस :- यह एक पारदर्शी उभय लिंगी होता है जो लिगामेंट द्वारा सिलियरी बॉडी से जुड़ा हुआ होता है। कॉर्निया के साथ प्लेन से प्रकाश को आप वर्जित करता है जिससे प्रकाश रेटिना पर केंद्रित हो जाता है।
  • रेटीना :- यह आंखों की सबसे भीतरी परत पर पाया जाता है। यह प्रकाश की उपस्थिति होने पर कैमरे की फिल्म की भांति कार्य करता है। रेटिना पर तीन प्रकार की न्यूरल कोशिकाएं पाई जाती हैं। जीने गैंग लियोन (ganglion), द्विध्रुव (bipolar) और फोटो रिसेप्टर कोशिका कहते हैं। यह कोशिका मस्तिष्क द्वारा किसी वस्तु की छवि को विद्युत तंत्रिका आवेग में परिवर्तित कर देते हैं।
  • ऑप्टिक नर्व (optic nerve) :- यह आंखों के पीछे का भाग होता है। ऑप्टिक तंत्रिका तंत्र रेटीना से वस्तु की छवि को मानव मस्तिष्क तक पहुंचाने का कार्य करती है।
  • जलीय कचाभ (Aquas chamber):- यह कार्निया और लेंस के मध्य मौजूद एक पानी का तरल पदार्थ होता है। जिसके द्वारा आंखों को पोषण मिलता रहता है।
  • विटरियस कचाभ (vitreous chamber) :- यह एक पारदर्शी जेली जैसा पदार्थ होता है जो लेंस और रेटीना के मध्य मौजूद होता है। इस भाग में 99% पानी और शेष प्रोटीन पाया जाता है। विटरियस चेंबर का मुख्य कार्य आंखों को सुरक्षित करना और इसके गोले का आकार को बनाए रखना होता है।

नेत्र से संबंधित रोग

शरीर में कई हिस्सों में संक्रमण होने के जैसे ही आंखों में भी संक्रमण की समस्या (Eyes and Eyes related disease) हो जाती है। आंखें अति संवेदनशील अंग होते हैं। जिसके कारण आंखों में संक्रमण होने पर यह गंभीर हो सकती हैं जिससे हमारे आंखों की रोशनी जा सकती है। इसलिए आंखों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर से अवश्य सलाह ले लेनी चाहिए। मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार लगभग 40 से 60 वर्ष के मध्य पाए जाने वाले व्यक्तियों में कम रोशनी जैसे समस्याएं पाई जाती हैं। सामान्यतया यह समस्या मधुमेह या जीवनशैली में परिवर्तन होने के कारण होता है। नीचे हम आपको नेत्र से संबंधित विभिन्न रोगों के नाम, उनके होने के कारण तथा लक्षण एवं उपचार (Eyes and Eyes related disease and treatment) के बारे में जानकारी देंगे।

  1. प्लवमान पिंड (Floaters)
  2. मोतियाबिंद (Cataracts)
  3. प्रेसबायोपिया (Presbyopia)
  4. आँखो में लालिमा आना (Conjunctivitis)
  5. मैक्यूलर एडिमा (macular edema)
  6. रंग दृष्टिहीनता (Colour blindness)
  7. मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी (diabetic retinopathy)
  8. सूखी और खुजलीदार आँखें (Dry and Itchy Eyes)
  9. ऑप्टिक तंत्रिका विकार ( glucoma))
  10. चकत्तेदार अध: पतन (Macular degeneration)
  11. निकट दृष्टि दोष (myopia)
  12. दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia)
  13. भेंगापन (astigmatism)
  14. तिर्यकदृष्टि (Strabismus)
  15. Proptosis
  16. आंख पर जोर (eye strain)
  17. यूवाइटिस (Uveitis)

आंखों से संबंधित रोग एवं उपचार

नेत्र रोग (Eyes and Eyes related disease)लक्षणउपचार
प्लवमान पिंड (Floaters)आँखो के vitreous चैम्बर में जाली नुमा संरचना बन जाती है| जिससे वस्तु साफ नही दिखाई देती हैं|सर्जरी द्वारा जाली नुमा संरचना को साफ किया जाता हैं|
मोतियाबिंद (Cataracts)कार्निया पर मोटी परत आ जाने के कारण वस्तु धुंधला दिखाई देने लगता हैं|सर्जरी के बाद चश्मे का प्रयोग किया जाता हैं|
प्रेसबायोपिया (Presbyopia)40 वर्ष की उम्र में प्रायः सामान्य रूप से पाई जाती हैं|जिससे वस्तु धुंधला दिखाई देने लगता हैं|सर्जरी के बाद चश्मे का प्रयोग किया जाता हैं|
आँखो में लालिमा आना (Conjunctivitis)आँखों में संक्रामण से आंख में लालिमा आ जाती हैं|डॉक्टर की सलाह से दवाओ का प्रयोग करे|
मैक्यूलर एडिमा (macular edema)कोर्निया में सिकुडन होने के कारण वस्तु धुंधला दिखाई देने लगता हैं|Laser Treatment, Vitrectomy Surgery, Steroid Treatment में से कोई भी सर्जरी|
रंग दृष्टिहीनता (Colour blindness)लाल और हरे रंगों में अंतर स्पष्ट कर पाना मुश्किल होता हैं|सर्जरी के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं|
मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी (diabetic retinopathy)मधुमेह होने के कारण धुंधलापन या रंगों की पहचान न कर पाना|सर्जरी के द्वारा रेटिना को ठीक किया जा सकता हैं|
सूखी और खुजलीदार आँखें (Dry and Itchy Eyes)आँखों में थकान और आँखों में redness का होना meditation या खान-पान में परिवर्तन करे और डॉक्टर की सलाह से दवाओ का प्रयोग करे|
ऑप्टिक तंत्रिका विकार (Glaucoma)मस्तिष्क में वस्तु की छवि सही से न बनना सर्जरी के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं|
चकत्तेदार अध: पतन (Macular degeneration)चीजे साफ न दिखी देना, वस्तु पर धब्बे दिखाई देना आदिAnti VEGF दवा, खान-पान में परिवर्तन
निकट दृष्टि दोष (myopia)लेंस पर सही प्रकार से प्रकाश का न पहुचना और रेटिना से पहले छवि का बनना, दूर की चीजे साफ न दिखी देना अवतल लेंस (concave lens ) का प्रयोग किया जाता हैं |
दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia)लेंस पर सही प्रकार से प्रकाश का न पहुचना और रेटिना के बाद छवि का बनना, पास की चीजे साफ न दिखी देनाउत्तल लेंस (convex lens ) का प्रयोग किया जाता हैं |
भेंगापन (astigmatism)लेंस की स्थिति में परिवर्तन होने के कारण दृष्टि कमजोर जो जाती है|LASIK (Laser in Situ Keratomileusis) या PRK (photorefractive keratectomy)  सर्जरी के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं|
तिर्यकदृष्टि (Strabismus)लेंस की स्थिति में परिवर्तन होने के कारण सभी वस्तु की 2-2 छवि दिखाई देनासर्जरी के बाद चश्मे का प्रयोग किया जाता हैं|या atropin दवा की ड्राप (बच्चो के लिए) आँखों में डाले|
Proptosisआँखों में संक्रामण से आंख के गोले का क्षय होना, सभी वस्तु 2-2 दिखाई देना डॉक्टर की सलाह से दवाओ का प्रयोग करे|
आंख पर जोर (eye strain)थकान के कारण आँखों में तनाव आ जाता हैं, जिसके कारण आँखों से पानी निकलने लगता हैं|डॉक्टर की सलाह से दवाओ का प्रयोग करे|काम करते समय समय समय पर आँखों को आराम दें|
यूवाइटिस (Uveitis)संक्रामण से आँखों के मध्य भाग में रक्त का जमाव हो जाता है|सर्जरी या डॉक्टर की सलाह से दवाओ का प्रयोग करे|
रतौंधी (Night Blindness)रात के समय दृष्टि कमजोर हो जाती हैं|विटामिन A से भरपूर आहार का सेवन करे तथा डॉक्टर की सलाह से दवाओ का प्रयोग करे|

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