कमलेश्वर का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिये।

कमलेश्वर का व्यक्तित्व – कमलेश्वर जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। इनके पिता जमींदार थे और इनकी आरम्भिक शिक्षा मैनपुरी में ही सम्पन्न हुयी। इनके बड़े भाई उम्र में इनसे चौदह वर्ष बड़े थे अतः यह उनका बहुत सम्मान करते थे। इलाहाबाद में बड़े भाई के पास रहकर इन्होने स्नातक व स्नातकोत्तर (हिन्दी में) की शिक्षा ग्रहण की। 1958 में इनका विवाह फतेहगढ़ की गायत्री से हुआ था जो स्नाकोत्तर की पढ़ाई कर ली थी। 1948 में ही इनकी प्रथम कहानी ‘कामरेड’ प्रकाशित हो गयी थी और पढ़ते हुए ही ‘बदनाम गली’ उपन्यास भी प्रकाशित हो गया। कमलेश्वर की सर्वाधिक यात्रा इलाहाबाद से ही आरम्भ हुई, जहाँ 1950 में इन्होंने ‘विद्वान’ पत्रिका का सम्पादन संभाला। इसके बाद तो अनेक हिन्दी पत्रिकाओं का सम्पादन किया, जिनमें नई कहानियाँ (1963-66), गंगा (1984-88), श्री वर्मा (1979-80) इंगित (1961-63), सारिका (1967-78), कथा यात्रा (1978-79) प्रमुख थीं। दैनिक जागरण (1990-92) तथा दैनिक भास्कर (1996-2002) पत्रों का सम्पादन भी किया। 1957 में ‘राजा ‘निरबंसिया’ कहानी संग्रह प्रकाशित होने के साथ ही कमलेश्वर हिन्दी के कहानीकारों में अग्रणी भूमिका निर्वाह करने लगे।

हिन्दी कहानी के प्रमुख तत्त्व बताइए।

1970 में यह मुम्बई चले गये। जहाँ उन्होंने कहानी लेखन व डॉयलाग लेखन का कार्य किया। उन्होंने लगभग 75 फिल्मों के लिए काम किया जिनमें प्रमुख थी गुलजार की आंधी’ जो उनके उपन्यास ‘काली आंधी’ पर आधारित थीं, मौसम, रंजनीगंधा, छोटी सी बात, रंग विरंगी, रवि चोपड़ा की ‘द बर्निंग ट्रेन’। सत्तर के दशक के अन्तिम सालों में उन्होंने ‘जमुना बाजार’ नामक टीवी फिल्म बनाया और शीघ्र ही दूरदर्शन के एडिशनल डायरेक्टर के पद को सुशोभित किया। उन्होंने इस टीवी धारावाहिकों की कहानियां लिखीं जिनमें प्रमुख है-आकाश गंगा, बैताल पचीसी, युग, चन्द्रकांता, दर्पण और एक कहानी दूरदर्शन के लिए उन्होंने बहुत सराहनीय कार्य किये और उसे जनता के साथ जोड़ने का सफल प्रयास किया। 27 जनवरी 2007 को फरीदाबाद में 75 वर्ष की अवस्था में उसकी मृत्यु हो गयी। उनकी पत्नी गायत्री ने ‘मेरे हमसफर: कमलेश्वर’ नाम से उनकी आत्मकथा लिखी।

कमलेश्वर को सन् 2003 में ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार उनके उपन्यास ‘कितने पाकिस्तान’ के लिए प्राप्त हुआ जिसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी किया गया। उन्हें सन् 2005 में पदम भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। कमलेश्वर ‘नयी कहानी’ साहित्यिक आन्दोलन से जुड़े रहे।

कृतियाँ-

कमलेश्वर ने निबन्ध, कहानियों व उपन्यासों की रचना करने के साथ टी.वी व फिल्मों के लिए भी बहुत कार्य किया। इनकी कृतियाँ निम्न है-

  1. आगामी अतीत,
  2. आज के प्रसिद्ध शायर- शहरयार,
  3. आजादी मुबारक,
  4. अम्मा,
  5. आँखों देखा पाकिस्तान,
  6. आत्मकथा-3 भागों में,
  7. भारतमाता ग्रामवासिनी,
  8. डाक बंगला,
  9. जिरॉज पञ्चम की नाक,
  10. गुलमोहर फिर खिलेगा,
  11. एक सड़क सत्तावन गलियाँ,
  12. माटी हो गयी सोना,
  13. मानस का दरिया,
  14. हिन्दुस्तान हमारा,
  15. जलती हुई नदी,
  16. जो मैने किया,
  17. कहानी की तीसरी दुनिया,
  18. कमलेश्वर की श्रेष्ठ कहानियां,
  19. कस्बे का आदमी,
  20. राजा निरबंसिया,
  21. खोयी हुई दिशायें,
  22. महफिल,
  23. पाकिस्तान।

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