Maurya Dynasty in Hindi:- दोस्तों आज के आर्टिकल में हम अपने प्राचीन भारत के एक ऐसे ही वंश की बात करेंगे जो भारत देश पर कई वर्षों तक राज किए हैं , उस राजवंश का नाम है मौर्य वंश (Maurya Dynasty)|मौर्य राजवंश (Maurya Dynasty) प्राचीन भारत का एक राजवंश था जिसने भारत पर 137 वर्ष राज किया| इसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य और उनके मंत्री आचार्य चाणक्य के द्वारा किया गया था| जिन्होंने नंद वंश के सम्राट घनानंद को हराकर इस वंश की स्थापना की| यहां साम्राज्य पूरब दिशा में मगध राज्य से गंगा नदी के मैदानों से होते हुए शुरू हुआ है| इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी|
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Maurya Dynasty (मौर्य वंश)की स्थापना:-
चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा 322 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की गई और चंद्रगुप्त मौर्य बहुत तेजी से पश्चिम की तरफ अपना साम्राज्य विकसित करने लगे| उन्होंने कई छोटे-छोटे क्षेत्रीय राज्यों को अपने राज्य में मिला लिया| उन्होंने यूनानीयों को भी मार भगाया| चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा पराजित होने के बाद सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को अपनी पुत्री का विवाह चंद्रगुप्त से कराना पड़ा |चंद्रगुप्त की माता का नाम ‘मुरा’ था| इसी वजह से इस वंश का नाम मौर्य वंश रखा गया|
(मौर्य साम्राज्य) के पिछले सालों में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर-व्याख्या सहित
मौर्य वंश का विस्तार:-
चंद्रगुप्त मौर्य के बाद इनके पुत्र बिंदुसार ने 298 ईसा पूर्व से 273 ईसा पूर्व तक इस राज्य पर राज किया| बिंदुसार के बाद उनके पुत्र अशोक 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक गद्दी संभाली| अशोक के समय में कलिंग राज्य का भारी नरसंहार हुआ| जिससे व्यथित होकर उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया| 316 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी-पश्चिमी भारत पर अधिकार जमा लिया था |अशोक के राज्य में मौर्य वंश का विस्तार बेहद सुचारू रूप से हुआ|
Maurya Dynasty (मौर्य वंश) के शासक:-
अब हम एक सूची के द्वारा मौर्य वंश के शासकों के शासन काल के बारे में जानकारी देंगे|Maurya Dynasty in Hindi
क्रं सं | शासक | शासन काल |
1 | चन्द्रगुप्त मौर्य | 322 ईसा पूर्व -298 ईसा पूर्व |
2 | बिन्दुसार | 298 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व |
3 | अशोक | 272 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व |
4 | दशरथ मौर्य | 232 ईसा पूर्व -224 ईसा पूर्व |
5 | सम्प्रति | 224 ईसा पूर्व -215 ईसा पूर्व |
6 | शालिसुक | 215 ईसा पूर्व -202 ईसा पूर्व |
7 | देववर्मन | 202 ईसा पूर्व -195 ईसा पूर्व |
8 | शतधन्वन मौर्य | 195 ईसा पूर्व -187 ईसा पूर्व |
9 | बृहद्रथ मौर्य | 187 ईसा पूर्व -185 ईसा पूर्व |
Maurya Dynasty in hindi (मौर्य वंश) के प्रमुख शासक:-
चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ईसा पूर्व -298 ईसा पूर्व):-
- चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 322 ईसा पूर्व में अपने गुरु चाणक्य की सहायता से मगध साम्राज्य के शासक धनानंद को पराजित करके मौर्य साम्राज्य की नींव रखी|
- यह माना जाता है कि उसका संबंध मोदी जाति से था जो एक निम्न जाति थी|
- चंद्रगुप्त ने पश्चिम और उत्तर दिशा में तत्कालीन यूनानी शासक निकेटर को 305 ईसा पूर्व में पराजित किया|
- सेल्यूकस ने अपनी पुत्री का विवाह चंद्रगुप्त से किया और मेगास्थनीज को अपने राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा|
- प्लूटार्क का कहना है कि चंद्रगुप्त ने छह लाख सैनिकों वाली सेना लेकर भारत पर आक्रमण किया और उस पर अपना अधिकार जमा लिया|
- चंद्रगुप्त का साम्राज्य उत्तर पश्चिम में ईरान से लेकर बंगाल तक उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कर्नाटक तक फैला हुआ था|
- चंद्रगुप्त के साम्राज्य में आधुनिक अफगानिस्तान, हिंदूकुश घाटी, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल तथा नर्मदा नदी के प्रदेश शामिल थे|
- चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें प्रशासन के नियमों का उल्लेख किया गया है|
- चंद्रगुप्त ने शासनकाल में सौराष्ट्र के गवर्नर पुष्य गुप्त ने सुदर्शन झील का निर्माण करवाया|
- चंद्रगुप्त की बंगाल विजय का उल्लेख महास्थान अभिलेख में मिलता है|
- माना जाता है कि 12 वर्ष की अकाल पड़ जाने की वजह से चंद्रगुप्त ने अपने पुत्र सिंह सेन को सिंहासन त्याग कर तपस्या करने के बाद अपना शरीर त्याग दिया था|
बिंदुसार का शासनकाल (298 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व):-
- चंद्रगुप्त के बाद उनका पुत्र बिंदुसार मौर्य साम्राज्य का राजा बना|
- जैन ग्रंथ राजबली की कथा में बिंदुसार को सिंह सेन भी कहा गया है|
- चाणक्य बिंदुसार के भी प्रधानमंत्री रहे|
- बिंदुसार आजीवक संप्रदाय के अनुयाई थे| दिव्य ध्यान से पता चलता है कि राज्यसभा में आजीवक संप्रदाय का एक ज्योतिषी रहा करता था|
- पुराणों के अनुसार बिंदुसार ने 24 वर्षों तक शासन किया| किंतु महाभारत के अनुसार बिंदुसार ने 27 वर्षों तक राज्य किया|
सम्राट अशोक का शासनकाल (272 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व):-
- बिंदुसार की मृत्यु के पश्चात अशोक मौर्य सम्राट के नए राजा बने|
- एक शासक के रूप में अशोक विश्व इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं|
- अशोक ने अपने 99 भाइयों का वध करके साम्राज्य का राज सिहासन प्राप्त किया था|
- राज्याभिषेक बुद्ध के महापरिनिर्वाण के 218 वर्ष बाद हुआ था|
- अशोक ने अपने राज अभिषेक के 90 वर्ष में कलिंग पर आक्रमण करके अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था|
- कुछ इतिहासकारों की माने तो कलिंग को जीतना अशोक के लिए आवश्यक था क्योंकि दक्षिण के साथ सीधे संपर्क के लिए एक स्वतंत्र राज्य के समुद्र और स्थल मार्ग पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी था|
- कलिंग के हाथी गुफा अभिलेख से प्रकट होता है कि अशोक के कलिंग आक्रमण के समय कलिंग पर नंद राज नाम कोई राजा राज कर रहा था|
- पुराणों में अशोक को अशोक वर्धन भी कहा गया है मौर्य शासक बनने से पूर्व वह उज्जैन के गवर्नर भी रह चुके थे|
- अशोक ने नेपाल में ललित पाटन नामक नगर का निर्माण करवाया था|
- धर्मों के अनुसार कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था|
- अशोक के बंद होने का सबसे बड़ा प्रमाण उसके लघु शिलालेख से प्राप्त होता है जिसमें अशोक ने स्पष्ट रूप से बुद्ध धर्म का अभिवादन किया है|
- अशोक के शासनकाल में 250 धर्मावलंबियों को पुनर्गठित करने के लिए बौद्ध परिषद का तीसरा महासम्मेलन आयोजित किया गया था|
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सम्राट अशोक और उनके धर्म:-
- कलिंग युद्ध की विभीषिका ने अशोक के मन को बुरी तरह झकझोर दिया| क्योंकि इस युद्ध का कलिंग के लोगों पर बहुत ही विनाशकारी प्रभाव पड़ा|
- अशोक के धर्म का उद्देश्य एक ऐसी मानसिक प्रवृत्ति का आधारशिला रखना था| जिसमें सामाजिक उत्तरदायित्व को एक दूसरे के प्रति व्यवहार को अधिक से अधिक महत्वपूर्ण समझा जा सके|
- अशोक का धर्म वस्तुत विभिन्न धर्मों के समान ही था| वह नैतिक आज चरणों का एक संग्रह है जो जियो और जीने दो की मूल पद्धति पर आधारित है|
- रोमिला थापर ने अशोक के धर्म की तुलना अकबर के दीन ए इलाही धर्म से की है| उनके शब्दों में अशोक का धर्म औपचारिक धार्मिक विश्वास पर आधारित सतकर्मों से प्रस्तुत नैतिक पवित्रता तक ही सीमित नहीं था| बल्कि वह सामाजिक दायित्व बोध से प्रेरित भी था|
- वस्तुतः कहा जाता है कि अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए अशोक ने जो आचार्य संहीता प्रस्तुत कि उसे उसके अभिलेखों के धर्म के रूप में माना जाता है|
Maurya Dynasty (मौर्य वंश) की केंद्रीय प्रशासन प्रबंधन:-
- मौर्य शासन का सर्वोच्च पदाधिकारी सम्राट होता है| वह शासन में सम्राट का केंद्र माना जाता था तथा कार्यपालिका व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका का प्रधान होता है|
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार 18 तीर्थ है| जिसमें उनमें रहने वाले मंत्री महामंत्री पुरोहित महत्वपूर्ण होते थे|
- मौर्य साम्राज्य राजतंत्रात्मक वंशानुगत देव के ग्रंथों तथा निरंकुशता पर आधारित था|
- मौर्यकालीन प्रशासन व्यवस्था की अद्भुत था उसकी गुप्तचर व्यवस्था थी|
- अर्थशास्त्र में गुप्तचर के लिए स्पर्श पुरुष तपस्वी दूत संस्था और संचार जैसे शब्द मिलते हैं|
- चंद्रगुप्त के समय प्रांतों की कुल संख्या 4 थी किंतु अशोक के समय में यह संख्या बढ़कर 5 हो गई|
- इन शासित प्रदेशों के अतिरिक्त साम्राज्य के अंतर्गत कुछ अश्व शासित प्रदेश है| जिन्हें प्रशासन के लिए राजनीतिक मान्यताएं दी गई थी| जिनकी गतिविधियों का नियंत्रण अंतपालो द्वारा किया जाता था|
Maurya Dynasty (मौर्य वंश)में सैन्य व्यवस्था:-
- मौर्य साम्राज्य में सैन्य व्यवस्था का प्रधान सम्राट था|
- मौर्य सेना व्यवस्था को पांच भागों में बाटा गया था पैदल, घोड़े ,हाथी ,रथ और नौसेना|
- अर्थशास्त्र में अध्यक्ष के उल्लेख में मौर्यों के पास नौसेना होने का प्रमाण मिलता है|
- सैन्य महा मंत्रालय का प्रधान सेनापति होता था| सैनिकों की नियुक्ति प्रशिक्षण वेतन प्रबंध अस्त्र-शस्त्र वा इनकी आपूर्ति सेनापति ही करता था|
Maurya Dynasty (मौर्य वंश) में न्याय व्यवस्था:-
- मौर्यकालीन न्याय व्यवस्था का सर्वोच्च न्यायाधीश सम्राट होता है|
- नागरिक मामलों को हल करने वाले न्यायाधीश को व्यवहारिक कहा जाता था|
- कुवचन मान-हानि मारपीट संबंधी मामले भी धर्म स्थानीय न्यायालय में लाए जाते थे|
- ग्रामसभा सबसे छोटा न्यायालय था उनके ऊपर क्रमशाह द्रोणा मुक्त तथा जनपद के न्यायालय थे|
Maurya Dynasty (मौर्य वंश) में समाज की व्यवस्था:-
- इस काल में सामाजिक रचना की जानकारी मुख्यता कौटिल्य के अर्थशास्त्र एवं मेगास्थनीज के विवरण में मिलती है|
- बौद्ध साहित्य में भी चार वर्णों की सूची मिलती है जिनमें क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य और शूद्र है|
- अर्थशास्त्र के अनुसार विवाह के लिए स्त्री की उम्र 12 वर्ष और पुरुष की उम्र 16 वर्ष बताई गई है|
- कौटिल्य ने स्त्रियों के विवाह विच्छेद की अनुमति दी है तलाक के लिए कौटिल्य ने मोक्ष शब्द का प्रयोग किया हुआ है|
- समाज में वेश्यावृत्ति की प्रथा प्रचलित थी जिसे राज्य की संरक्षण प्रदान किया जाता था|
- कौटिल्य के अनुसार मौर्य काल की एक महत्वपूर्ण सामाजिक घटना थी जिसमें दासू को बड़े पैमाने पर कृषि के कार्यों में लगाया जाता था|
Maurya Dynasty (मौर्य वंश) साम्राज्य का पतन:-
- मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए किसी एक कारण को जिम्मेदार मानना सही नहीं होगा| इस के निम्न कारण है|
- डी एन झा ने मौर्य साम्राज्य पतन के लिए अशोक की आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार बताया है|
- रोमिला थापर द्वारा मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण मौर्य कालीन केंद्रीय प्रशासन और उनके अधिकारी तंत्र को माना जाता है|
- डॉक्टर बनर्जी मानते हैं कि अशोक आदर्शवादी और धार्मिक भावना में मौर्य, सैनी व्यवस्था और अनुशासन को प्रभावित किया जिससे मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया|
दोस्तों आज हमने मौर्य वंश (Maurya Dynasty in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से जाने आशा करता हूं कि आप को यह लेख काफी पसंद आया होगा| आप अपनी राय कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस पोस्ट को शेयर करें|