“मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरे द्वारा किया गया कार्य मेरा कार्य नहीं है।” इस कथन की व्याख्या भारतीय दण्ड संहिता के सुसंगत प्रावधानों के अनुसार कीजिये। यदि कोई अपवाद हो तो उन्हें इंगित कीजिये।
विधि का यह एक सुस्थापित सिद्धान्त है कि “मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरे द्वारा किया गया कार्य मेरा कार्य नहीं है” (Actus me invito factus non est mens actus) । इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि अनिच्छा से किया जाने वाला कार्य अपराध नहीं है। अपराध के गठन के लिए कार्य का …