Top 100 भौतिक विज्ञानं के कुछ ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्न जो परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाते हैं-Dear Readers हमने आप सभी के प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, कुछ बहुत जी ज्यादा important जानकारी ले कर के आये हैं | यह जानकारी हर छात्र-छात्राओं के लिए है जो परीक्षाओं की तयारी कर रहे हैं चाहे ओ competitive exams की हो या other exams की हो यह जानकारी सभी के लिए महत्वपूर्ण है | आप आप के साथ जो जानकारी हम share कर रहे हैं वह भौतिक विज्ञानं (Physics) से सम्बंधित है | यह एक ऐसी जानकारी है जिसे आप को जरुर जानना चाहिए| नीचे हम वह जानकारी आप सभी के सहत share कर रहे हैं, आप सभी छात्र इस जानकारी को आचे से समझ ले पढ्न ले और इसे अच्छी तरह से कंठस्थ कर लें ,ताकि आप सभी को exams में कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े |
Top 100 Physics (भौतिक विज्ञानं) Important Questions
- स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनाई पड़ने के लिए ध्वनि का परावर्तन करने वाली तथा को श्रोता से कम से कम 16.5 मीटर की दूरी पर होना चाहिए |
- तरंग गति में उर्जा का स्थानांतरण होना है, ना कि माध्यम के कणों का |
- ऊष्मा दिए जाने पर पदार्थ की गतिज ऊर्जा बढ़ती है | अतः पदार्थ में समाई उसमा की पहचान उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा से होती है|
- गतिज ऊर्जा (यांत्रिक ऊर्जा) की कीमत पर ऊष्मा उत्पन्न होती है | घर्षण से उत्पन्न ऊर्जा इसका उदाहरण है|
- उष्मागतिकी के सून्यावा नियम के अनुसार किसी पिंड का ताप पिंड की वह अवस्था है, जो निर्धारित करता है कि पिंड किसी दूसरे पिंड के साथ तापीय संतुलन में है या नहीं |
- गर्म होने पर ठोस की लंबाई में जो प्रसार होता है उसे रेखीय प्रसार कहते हैं |
- ठोस की सतह के प्रकार की क्षेत्रीय प्रसार और आयतन के प्रसार को आयतन प्रसार कहते हैं |
- तरल पदार्थों के मात्र आयतन प्रसार होते हैं |
- ऊष्मा के प्रभाव में किसी पदार्थ का जो प्रसार होता है वह पदार्थ की प्रक्रिया पर निर्भर करता है |
- ताप के प्रति डिग्री परिवर्तन के कारण उसकी लंबाई में भिन्नात्मक परिवर्तन को ठोस पदार्थ का रेखीय प्रसार गुणांक कहते हैं यह ठोस के द्रव की प्रक्रिया पर निर्भर करता है |
- रेखीय प्रसार गुणांक की तरह ही क्षेत्रीय प्रसार गुणांक और आयतन प्रसार गुणांक भी परिभाषित होता है | क्षेत्रीय प्रसार गुणांक =2× रेखीय प्रसार गुणांक और आयतन प्रसार गुणांक =3× रेखीय प्रसार गुणांक
- ठोस के रेखीय प्रसार के प्रभाव से रेल की पटरियाँ मुड जा सकती हैं और तरल पदार्थों को ले जाने वाली पाइप टूट जा सकती है |
- थर्मामीटर में पारा, बेंजीन जैसे पदार्थ से अधिक उपयोगी होता है |
- जल का प्रसार 0०C से 4०C के बीच कुछ असाधारण-सा इस पदार्थ में होता है कि ताप के इस अंतराल में ताप के घटने पर उसका आयतन घटने के बदले बढ़ता है |
- किसी दिए गए द्रव्यमान की गैस का ताप यदि नियत रहे तो गैस का दाब (P) उसके आयतन (V) का व्युत्क्रमानुपाती होता है; यह बॉयल का नियम है |
- पिंड को दी गई ऊष्मा का परिवर्तन और उस ऊष्मा के कारण उनसे ताप में वृद्धि के अनुपात को उस पिंड की उष्मा धारिता कहते हैं |
- जिस ताप पर ठोस पदार्थ ऊष्मा पाकर गलता है और द्रव में परिवर्तित होता है,उस ताप को ठोस का गलनांक कहते हैं |
- जिस ताप पर द्रव पदार्थ ऊष्मा पाकर उबलता है और द्रव से वाष्प में बदलता है, उस ताप को द्रव का क्वथनांक कहते हैं |
- ठोस पदार्थ के एकांक द्रव्यमान को गलनांक पर ठोस से द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा को ठोस के गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं |
- द्रव के एकांक द्रव्यमान को क्वथनांक पर द्रव से वाष्प में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा को द्रव के क्वथन या वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं |
- जिस ताप पर द्रव पदार्थ ऊष्मा खोकर जमता है, उसे द्रव का हिमांक कहते हैं |
- किसी पदार्थ के द्रवण की गुप्त ऊष्मा बराबर होती है क्वथन की गुप्त ऊष्मा के |
- किसी धातु के गलनांक से उसके मिश्र धातु का गलनांक बहुत ही कम होता है |
- किसी ताप पर वायु के प्रति घन मीटर में उपस्थित जलवाष्प का द्रव्यमान और उस ताप पर वायु की अधिकतम आद्रता के लिए प्रति घन मीटर में जलवाष्प के आवश्यक द्रव्यमान के अनुपात को वायु की आपेक्षिक आद्रता कहते हैं |
- उस्मा इंजन ऐसी युक्त है जो ऊष्मा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है|
- ऊष्मा इंजन दो प्रकार के होते हैं-बहिर्दहन इंजन और आंतरिक दहन इंजन|
- बहिर्दहन इंजन का कार्यकारी पदार्थ जल का भाप होता है जिसे इंजन के बाहर कोयला को जलाकर तैयार किया जाता है और तब उसे इंजन के भीतर भेजा जाता है| भाप इंजन बहिर्दहन इंजन है|
- आंतरिक दहन इंजनों में कार्यकारी पदार्थ हवा होती है | इंजन के भीतर ही ईंधन( जलवान) को जलाकर कार्यकारी पदार्थ के ताप को बढ़ाया अपना वीडियो मेरा जाता है|
- लेंस की फोकस दूरी या फोकसांतर( फोकल लेंग्थ) प्रकाशीय केंद्र एव मुख्य फोकस के बीच की दूरी है| लेंस के दो मुख्य फोकस होते हैं|
- नेत्र -लेंस द्वारा किसी वस्तु का उल्टा एवं वास्तविक प्रतिबिंब रेटिना( दृष्टिपटल) पर बनता है जो दृक तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक संचारित होता है|
- रेटिना बहुत ही प्रकाश सुग्राही होता है और यह दो प्रकार के तंत्रिका तंतुओं छड़ तथा शंकु से भरा रहता है?
- आंख( नेत्र) कि वह क्षमता जिस कारण नेत्र लेंस की आकृति (अर्थात फोकस दूरी) स्वतं नियंत्रित होती रहती है नेत्र की समंजन क्षमता(power of accommodation) कही जाती है?
- उस निकटतम बिंदु को जहां तक आंख नेत्र साफ-साफ देख सकती है ; निकट बिंदु(near point) कहां जाता है| सामान्य आंख नेत्र के लिए निकट बिंदु की दूरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए|
- उस दूरस्थ बिंदु को जहां तक आंख नेत्र साफ-साफ देख सकती है दूर बिंदु(far point) कहां जाता है| सामान्य आंख नेत्र के लिए दूर बिंदु अनंत(infinity) पर होना चाहिए|
- निकट दृष्टि नेत्र- गोलक के लंबा हो जाने के कारण होता है और बहुत दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र लेंस रेटिना (दृष्टिपटल)के आगे बनता है| इस का सुधार( उपचार) अवतल लेंस द्वारा होता है|
- दीर्घ दृष्ट नेत्र गोलक के छोटा हो जाने के कारण होता है और सामान्य निकट बिंदु( 25cm की दूरी )पर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र लेंस रेटिना( दृष्टिपटल) के पीछे बंद बनाती है| इस देश का सुधार (उपचार) उत्तल लेंस द्वारा होता है|
- फोटोग्राफी कैमरे द्वारा फिल्म पर किसी वस्तु का स्थायी प्रतिबिंब बनाया जाता है एक|
- गोलीय दर्पण उस दर्पण को कहते हैं जिसकी परावर्तक सतह किसी खोखले गोले का एक भाग होती है|
- गोलीय दर्पण की सतह पर उसके मध्य बिंदु को दर्पण ध्रुव कहते हैं|
- गोलीय दर्पण के धुव्र और वक्रता केंद्र को मिलाने वाली रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते हैं|
- गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष के सामांतर और निकट आपतित सभी किरणों दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु पर अभिसारित( converge )होती है या जिस बिंदु से अपसारित प्रतीत होती है वह बिंदु गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस कहा जाता है |
- गोलीय दर्पण के दुव्र तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी या फोकसान्तर कहते है |इसे f से दर्शाया जाता है |
- गोलीय दर्पण के ध्रुव से वार्कता केंद्र के बीच की दूरी वक्रता त्रिज्या कहते है |इसे’ r’ से दर्शाया जाता है|
- !गोलीय दर्पण की फोकस दूरी उसकी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है अर्थात f=r/2
- अवतल दर्पण से वास्तविक और काल्पनिक दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बन सकते हैं| वास्तविक प्रतिबिंब बड़ा या छोटा हो सकता है किंतु काल्पनिक प्रतिबिंब बड़ा होता है|
- उत्तल दर्पण से हमेशा छोटा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है|
- प्रतिबिंब की ऊंचाई और वस्तु की ऊंचाई या साइज के अनुपात को आवर्धन कहते हैं|
- गति के लिए मुक्त धनावेश उच्च विभव से निम्न विभव की ओर जाता है|
- पृथ्वी का विभव शून्य माना जाता है| पृथ्वी की अपेक्षा जिस वस्तु का विभव अधिक होता है उसका विभव धनात्मक और जिसका कम होता है उसका विभव ऋणात्मक माना जाता है|
- किसी पदार्थ की विशिष्ट प्रतिरोध उस पदार्थ के एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद वाले एकांक लंबाई के खंड का प्रतिरोध होता है| विशिष्ट प्रतिरोध के प्रतिलोम को विशिष्ट चालकता कहते हैं|
- प्रति एकांक तापवृद्धि से विद्युत के चालक का प्रतिरोध में जो आंशिक वृद्धि होती है उसे उस चालक पदार्थ का प्रतिरोध- ताप गुणांक कहते हैं|
- जिन पदार्थों की विशिष्ट चालकता बहुत अधिक होती है उन्हें चालक कहा जाता है| जिनकी विशिष्ट चालकता बहुत ही कम होती है उन्हें अचानक कहा जाता है|
- अर्ध्द्चालक पदार्थ की विशिष्ट चालकता चालक की विशिष्ट चालकता से कम और अचालक की विशिष्ट चालकता से अधिक होती है|
- अतिचालक पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध एक विशेष ताप (अतिचालाकीय कला संक्रमण ताप) के बीच शून्य हो जाता है|
- श्रेणीक्रम में सामूहिक प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध इन प्रतिरोधक के योग के बराबर होता है समांतर क्रम में सामूहिक प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध का प्रतिलोम इन प्रतिरोधों के प्रतिलोमो के योग के बराबर होता है|
- सरल सेल बाह्य परिपथ में तांबे की प्लेट की ओर से जस्ते की प्लेट की और धारा भेजता है|
- सरल सेल से 1.08v का(वि .वा .ब ) प्राप्त होता है जो सेल से धारा लिए जाने के कर्म में ध्रुवण तथा स्थानीय क्रिया के कारण काफी घट जाता है|
- पदार्थों का आवेशन उनसे इलेक्ट्रॉनों को निकालना या उनमें इलेक्ट्रॉनों को भेजना है|
- ठोस चालको मैं विद्युत चालन के लिए मुक्त इलेक्ट्रान उपलब्ध होते हैं| द्रव और घोलो में अणुओं के आयनों में विघटन से विद्युत चालन संभव होता है| गैसों में अणु के आयनों मै विघटन से विद्युत चालन संभव होता है| गैसों में अरबों के धनायन तथा ऋणअयनो में विखंडित होने के कारण विद्युत विसर्जन होता है|
- पदार्थों में आवेश प्रोटानो हो तथा इलेक्ट्रॉनों के रूप में उनके परमाणुओं में समाए रहता है |
- यदि धारावाही चालक को दाएं हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़े की अंगूठा धारा की दिशा को अंगित करता हो तो अंगुलियां चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखाओं की दिशा को व्यक्त करती है|
- सीधी धारा के कारण बल रेखाएं धारा के गिर्द सम केंद्रीय वृत होती है| वृत्तीय धारा के केंद्र पर बल रेखा वृत के समतल पर अभिलंब होती है| परिनालिका की बल रेखाएं छड़ चुंबक की बल रेखाओं जैसी होती है|
- परिनालिका में रखी नरम लोहे की छड़( कोर्ड ) परिनालिका से धारा प्रवाहित करने पर विधुत-चुम्बक बन जाती है |
- चुंबक का धारा पर प्रभाव धारावाही चालक पर बल लगना होता है| इस बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से प्राप्त होती है|
- विधुत मोटर का कार्य सिद्धांत है धारावाही चालक की कुंडली पर चुंबकीय क्षेत्र में बल युग्म का उत्पन्न होगा |
- जब किसी कुंडली के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ता या घटता है तब उसमें बिधुत-वाहक बल प्रेरित होता हैं| एसी घटना को विधुत-चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं |
- किसी कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान कुंडली से होकर चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है|
- प्रेरित धारा की दिशा दक्षिण- हस्त नियम से प्राप्त होती है|
- किसी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली के घूर्णन से कुंडली में प्रत्यावर्ती वि .वा .ब प्रेरित होता है|
- प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं|
- दिष्ट धारा दो प्रकार के होते हैं स्थायी दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती दिष्ट धारा|
- p- अर्ध्द्चालक में छिद्रों का और n अर्ध्द्चालक मैं इलेक्ट्रॉनों का बाहुल्य होता है|
- अर्धचालक (p-n) डायोड का उपयोग दिष्टकारी के रूप में इसलिए होता है कि अग-अभिनत पर ही p-n संजय से होकर धारा प्रवाहित होती है
- पश्च-अभिनति पर अर्धचालक डायोड की धारा नगण्य होती है |
- धारा के स्रोतों का चयन उसके पारस्परिक लाभ और हानि पर निर्भर करता है |
- प्रत्यावर्ती धारा स्त्रोत सर्वाधिक उपयोगी धारा स्त्रोत है |
- औद्योगिक संस्थानों के लिए सत्य उच्च वोल्टता पर उपलब्ध कराई जाती है |
- घरेलू उपयोगों के लिए विद्युत 220 वोल्ट पर उपलब्ध होती है |
- घरों की वायरिंग पावर तथा डोमेस्टिक, दो प्रकार की होती है- पहली 15 A की और दूसरी 5 A की धारा के लिए |
- वायरिंग को पावर और डोमेस्टिक परिपथों में बांटने से ऊर्जा की हानि कम होती है |
- सुरक्षा की दृष्टि से वायरिंग स्कीम में अर्थ-लाइन का भी होना आवश्यक है |
- विद्युत परिपथ के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही से घातक झटके लग सकते हैं और मकानों में भयंकर आग भीग सकती है |
- पांचवी शताब्दी में भारतीय खगोलज्ञ आर्यभट्ट ने सुझाया की भूस्थिरता एक भ्रांति है; वास्तव में, पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है जिसके कारण सूर्य और तारे उदित और अस्त होते हुए मालूम पड़ते हैं |
- पोलैंड के पादरी कोपरनिकस ने सूर्य केंद्रीय निकाय पेश किया| इसके अनुसार सूर्य केंद्र पर है और उसके चारों ओर ग्रह आदि परिक्रमा करते हैं |
- नाभिकीय विखंडन में कोई भारी नाभिक लगभग बराबर ब्रह्मांड के दो नाभिकों में टूट जाता है |
- आइंस्टीन ने 1905 ई० मैं आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत निकाला जिसके अनुसार द्रव्यमान और ऊर्जा तुल्य है और E=mc2. इस संबंध के उपयोग से यह दिखाया जा सकता है कि 931 MeV उर्जा को 1u का द्रव्यमान है |
- सूर्य, वायु, पानी आदि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत हैं; जबकि कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं |
- नाभिकीय संलयन में अभिकारक के कुल द्रव्यमान से उत्पन्न नाभिकों का कुल द्रव्यमान कम होता है | यह दर्द सामान्यतः हल्के नाभिकों में पूरी होती है |
- पैरासूट के पृष्ठ का क्षेत्रफल ज्यादा है अतः वह का प्रतिरोध अधिक है |
- कारों के हेडलैंप में प्रयुक्त दर्पण परवलयिक अवतल प्रकार के होते हैं |
- तरलता वास्तविक गहराई से कम गहराई दिखाई देता है| इसका कारण है अपवर्तन
- प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में दिष्टकारी द्वारा बदला जाता है |
- निर्वात में ध्वनि नहीं गुजर सकती
- पारा तापमापी 212 डिग्री से० ताप तक मापन में प्रयुक्त होता हैं |
- कमरे मे रखे हुए एक चालू रेफ्रीजरेटर के दरवाजे खुले छोड़ दिए जाये तो कमरे का ताप बढ़ता है |
- जल का क्वथनांक जल की खुली सतह के ऊपर के दाब पर निर्भर करता है |
- पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तब होता है , जब प्रकाश हीरे से कांच में जाता है |
- यदि लेंस द्वारा देखने पर अक्षरों का आकर छोटा दिखाई देता है तो वह लेंस अवतल लेन्स है |
- रंग का अपवर्तन सबसे अधिक होता है |
- प्रिज्म द्वारा बैगनी रंग का विचलन अधिकतम होता है |
इसे एक बार जरुर देखें
- Download Top 100 Mathematics Shortcuts-For Your Competitive Exams
- Learning Express 1001 Maths Problems-Download Free eBook
- Ghatna Chakra Mind Maths (मन की गणित) 100 Short Cuts Tricks-Download in Hindi
- Top 1000 Useful Idioms And Phrases-For SSC CGL and Bank Exams
- Top 100 Science and Technology GK (MCQS) PDF Download in Hindi
- Download Top 50 भारतीय कला एवं संस्कृति PDF Notes in Hindi-For All Competitive Exma
- Download Biology PDF Notes For Competitive Exams
- भारत की राजव्यवस्था (Bharat Ki Rajvyavastha)-Download Now in Hindi
- Kiran SSC General Awareness (सामान्य अध्ययन) Solved Papers-Hindi eBook Download
- Economics Hand Written Notes-Download PDF in Hindi
- GK Tricks By Nitin Gupta Free PDF eBook Download In Hindi
- विज्ञान प्रगति (वर्ष 2017 की वैज्ञानिक उपलब्धियां) जनवरी 2018-Download in Hindi
Friends, if you need an eBook related to any topic. Or if you want any information about any exam, please comment on it. Share this post with your friends in social media. To get daily information about our post please like my facebook page. You can also joine our facebook group.
Disclaimer: Sarkari Book does not own this book, neither created nor scanned. We just provide the link already available on the internet. If anyway it violates the law or has any issues then kindly mail us: [email protected]